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वर्तमान के वर्धमान की विनयांजलि सभा में उमडा जनसमूह

  1. वर्तमान के वर्धमान की विनयांजलि सभा में उमडा जनसमूह
    गाडरवारा |भारतवर्ष ही नहीं अपितु सारे विश्व को, जैनों को ही नहीं अपितु जन-जन को अपने प्रवचनों के माध्यम से इंडिया नहीं, भारत बोलो, स्वस्थ्य संतुलित आहार ही शाकाहार है, हथकरघा के वस्त्रों को अपनाओ एवं अहिंसा परमो धर्म की अलख जगाते हुए सारे विश्व को एक नई सोच, नई चिंतन सौंपने वाले आठ भाषाओं के ज्ञाता सर्वश्रेष्ठ साधक, तपस्वी संत, आचार्य विद्यासागर जी महाराज का 18 फरवरी को समतापूर्वक देवलोक गमन हो गया है |25 फरवरी को पूरे भारत में एक साथ गुरुवर को विनयांजलि उनके भक्तों ने दी है| इसी तारतम्य में दिगंबर जैन समाज गाडरवारा ने पुरानी गल्ला मंडी में एक सर्वधर्म सभा का आयोजन किया जिसमें मुनि श्री 108 प्रणीत सागर जी महाराज के समक्ष आचार्य श्री को अश्रुपूरित विनयांजलि दी |दोप. 2:00 बजे चावड़ी स्थित जैन मंदिर से मुनि श्री के साथ पुरुष वर्ग सफेद धोती दुपट्टे में एवं महिलाएं पीली लाल साड़ी में पंक्तिबद्ध होकर जुलूस के रूप में नगर के मुख्य मार्गो से होते हुए पुराना गल्ला मंडी स्थित सभा स्थल पर पहुंचे जहां पर सभा का शुभारंभ मुनि श्री के पाद प्रक्षालन व शास्त्र भेंट के साथ हुआ तत्पश्चात बालिकाओं द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया कार्यक्रम के शुभारंभ में आचार्य श्री का जीवन परिचय दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष जिनेश जैन द्वारा देते हुए बताया कि आचार्य श्री का पूर्व नाम विद्याधर था इनका जन्म 10 अक्टूबर 1946 शरद पूर्णिमा के दिन कर्नाटक प्रांत में चिक्कोड़ी ग्राम में हुआ था | आचार्य भगवान के पूरे परिवार ने गृहस्थ जीवन त्याग कर जैनेश्वरी दीक्षा ले ली है | आचार्य श्री आठ भाषाओं के ज्ञाता थे अपने 17 विशाल जैन मंदिरों का निर्माण कराया है, आचार्य भगवन ने अपने पूरे जीवन काल में लगभग 2 लाख किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा की है ,आपके द्वारा 398 से अधिक मुनि, आयि॔का दीक्षाएं दी है | विनयांजलि कार्यक्रम में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नगर पालिका अध्यक्ष शिवाकांत मिश्रा ने आचार्य श्री के राष्ट्र व समाज कल्याण में किए गए प्रयासों की चर्चा करते हुए कहा कि आचार्य श्री कि त्याग और तपस्या, व देश प्रेम को को पूरा देश हमेशा याद रखेगा और शीघ्र ही शांतिदूत तिराहे पर एक कीर्ति स्तंभ का निर्माण परिषद करेगी |कार्यक्रम में एसडीएम महोदया ने कहा कि गुरुवर के आचरण में साधना त्याग और संयम की पराकाष्ठा थी |महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती मीता जैन ने कहा गुरुवर का अनायास जाना ही समाज के लिए एक बहुत बड़ा आघात है उन्होंने गुरुवर की सेवा भावना का उल्लेख करते हुए कहा की भाग्योदय एवं पूर्णायु अस्पताल मानव सेवा में सतत काय॔रत हैं | उद्योगपति विनीत माहेश्वरी ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा मैं बड़ा भाग्यशाली हूं कि मुझे गुरुवर की सेवा करने का तीन बार का मौका मिला| पूव॔ सांसद रामेश्वर नीखरा ने कार्यक्रम में आचार्य श्री के तपोवल एवं जीवन प्रसंगों की चर्चा करते हुए उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए | धर्म सभा अनूप जैन , सुभाष जैन थाला वाले, अशोक जैन, राजीव जैन, राजेंद्र नामदेव, अजय खत्री कमल खटीक, मनीष राय, प्रफुल्ल दीक्षित, डॉक्टर जितेंद्र महाजन, प्रमोद चौकसे ,अनिल साहू ,अनिल लूनावत, हंसराज मालपानी, अशोक राजपूत, महमूद खान, सुरेश सराठे, राव पवन सिंह, गजराज अधिरूज ने कार्यक्रम में अपने उदगार व्यक्त करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए| कार्यक्रम में उपस्थित माहेश्वरी समाज, गहोई समाज, श्वेतांबर जैन समाज, गुजराती कच्छी जैन समाज, कौरव समाज, नामदेव समाज, साहू समाज, राजपूत समाज, राय समाज, यादव समाज, अग्रवाल समाज एवं कदम संस्था, आस्था संस्था, सत्य साई सेवा समिति, दयोदय गौशाला, टीवीएन स्कूल, न्यू एज स्कूल, दाल मिल एसोसिएशन, सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों ने आचार्य श्री के चित्र की समक्ष पुष्पांजलि अर्पित करते हुए अपने उदगार व्यक्त किये | कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रणीत सागर महाराज ने कहा कि मैं आज गर्व के साथ कह सकता हूं की आचार्य श्री को विनयांजलि गाडरवाड़ा जैन समाज ने जितने ही अनुशासित तरीके से दी है उतनी शायद ही किसी और शहर में दी गई होगी |उन्होंने आचार्य श्री की सेवा, विनम्रता तपस्या और ज्ञान का उल्लेख करते हुए कहा कि उन जैसा संत सदियों में ही कोई इस धरती पर आता है |उन्होंने समाज के अध्यक्ष जिनेश जैन के सेवा कार्यों की भी सराहना करते हुए कहा कि वर्तमान समय में समाज को एक सूत्र में बांधना तो बहुत कठिन है परंतु आपने तो नगर की सारी समाजों को ही एक मंच पर एकत्रित कर इतना बड़ा कार्यक्रम कर दिया| यह एक बहुत ही सराहनीय कार्य है | अंत में सभा को संबोधित करते हुए समाज के सचिव राजेश जैन (शिक्षक) ने सभी उपस्थित महानुभावों एवं सभी समाजों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सभी ने अपने अमूल्य समय से समय निकालकर हमारे आचार्य श्री कोआपने जो श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं उसके लिए हम सभी सदैव आभारी रहेंगे |
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