मथुरा। रंगों के त्यौहार होली की शुरुआत बृज में बसंत पंचमी 16 फरवरी से हो चुकी है। 40 दिन चलने वाले इस होली उत्सव में मंदिरों, प्राचीन देवालयों में गुलाल की होली और धमार एवं होली के पदों का गायन होने के साथ ही विश्वप्रसिद्ध बृज की होली के आयोजनों की तैयारियां बृजवासियों द्वारा जोर-शोर से की जा रही है। अब हर किसी को बृज की होली का इंतजार है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है। इससे एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। जिस दिन रंग खेला जाता है, उसे कहीं कहीं धुलेंडी भी कहा जाता है। इस वर्ष होली का त्योहार (रंग खेलने वाला दिन धुलेंडी) 29 मार्च (सोमवार) को है। इससे एक दिन पहले यानी 28 मार्च (रविवार) को होलिका दहन होगा।
होलिका दहन का दिन : 28 मार्च 2021, रविवार
रंगों की होली खेलने का दिन : 29 मार्च 2021, सोमवार
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त : शाम 6.37 बजे से रात 8.56 बजे तक (अवधि 02 घंटे 20 मिनट)
पूर्णिमा तिथि शुरू : 28 मार्च सुबह 3.27 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 29 मार्च रात 12.17 बजे
29 मार्च भद्रा पूंछ -10:13 से 11:16
29 मार्च भद्रा मुख – 11:16 से 13:00
ब्रज के मंदिरों में अनूठे अंदाज में होली का त्यौहार मनाया जाता है। ब्रज के धर्मिक स्थलों पर अपनी-अपनी प्राचीन काल से चली आ रही परंपराओं के अनुसार होली उत्सव मनाया जाता है। होली उत्सवों के पीछे पौराणिक कथाएं हैं। ब्रज में भगवान राधाकृष्णा, ग्वाल-वाल और ब्रजवासियों की लीलाएं समाहित हैं। जिसे देखने के लिए विश्वभर से लोग ब्रज में आते हैं। हरकोई ब्रज की होली को देखने के लिए लालायित रहता है। बरसाने में लट्ठमार होली, गोकुल में छड़ी मार होली, तो नन्दगांव में लठ्ठमार होली, दाऊजी में हुरंगा, वृदांवन में फूलों और टेसू के रंग से होली खेली जाएगी।
14 मार्च को कृष्ण की कीड़ा स्थल रमन रेती आश्रम में होगी होली.
17 मार्च को बरसाना के राधा रानी मंदिर में लड्डू मार होली.
18 मार्च को बरसाना में लठ्ठमार होली.
19 मार्च को नंद गांव में लठ्ठमार होली.
20 मार्च को रंगभरनी एकादशी श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर परिसर में लट्ठमार होली. शहर की द्वारकाधीश मंदिर और बांके बिहारी मंदिर में रंगों की होली.
21 मार्च को गोकुल में छड़ीमार होली.
24 मार्च को होलिका दहन, फालेन गांव की होली.
26 मार्च को धुलेंडी रंगों की होली.
27 मार्च दाऊजी का हुरंगा बलदेव.
27 मार्च जाब का हुरंगा गांव जाब.
27 मार्च चरकुला मुखराई.
31 मार्च महावन में होली.
2 अप्रैल श्रीरंग जी मंदिर मे होली वृन्दावन.
धर्म ग्रंथों में होली का धार्मिक महत्व
होली के त्यौहार का विशेष धार्मिक महत्व है। इससे जुड़ी कथा प्रचलित है कि किस तरह खुद सबकुछ मान बैठे हरिण्यकशिपु ने भगवान की भक्ति में लीन अपने ही बेटे प्रहलाद को अपनी बहन होलिका की मदद से जिंदा जलाने की कोशिश की। भगवान ने अपने भक्त पर कृपा की और प्रहलाद के लिए तैयार की गई चिता में होलिका जलकर मर गई। इसीलिए होलिका दहन किया जाता है। इस त्योहार को भाईचारे के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। संदेश है कि एक ही रंग में रंगे होने के कारण इस दिन सभी तरह के भेदभाव मिट जाते हैं। हालांकि कोरोना महामारी के कारण इस बार भी होली का रंग कुछ फीका हो सकता है। पिछली बार भी इसी समय देश में कोरोना का आहट हुई थी और होली के कई कार्यक्रम रद्द किए गए थे।
राजकुमार गुप्ता
जिला संवाददाता मथुरा