उत्तर प्रदेशताज़ा ख़बरेंमेरठ

मेरठ के मखदुमपुर गंगा मेले में उमड़ी भारी भीड़:

मेरठ के मखदुमपुर गंगा मेले में उमड़ी भारी भीड़: आस्था के महापर्व में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने किया गंगा स्नान, पूजा-अर्चना

मेरठ के मखदुमपुर गंगा मेले में उमड़ी भारी भीड़: आस्था के महापर्व में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने किया गंगा स्नान, पूजा-अर्चना

मेरठ, उत्तर प्रदेश:

​मंगलवार को मेरठ के मखदुमपुर में आयोजित गंगा मेले में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। स्थानीय निवासियों के साथ-साथ दूर-दराज से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में डुबकी लगाकर पवित्र स्नान किया और धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए।

आस्था और भक्ति का दृश्य

​सुबह की पहली किरण के साथ ही गंगा नदी का तट ‘हर हर गंगे’ के जयकारों से गूंज उठा। हस्तिनापुर की ओर से भी बड़ी संख्या में भक्तों का आगमन हुआ।

  • महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजी-धजी थीं, जो भक्तिमय माहौल को और भी मनोहारी बना रही थीं।
  • पुरुष अपने हाथों में पूजा सामग्री लिए श्रद्धापूर्वक गंगा स्नान करते और पूजा-अर्चना करते दिखे।
  • ​मेले में बच्चों और बुजुर्गों की भी अच्छी खासी संख्या में उपस्थिति दर्ज की गई, जो इस आयोजन के सामाजिक और पारिवारिक महत्व को दर्शाती है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

​ग्रामीणों के अनुसार, मखदुमपुर गंगा मेला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मेला प्रतिवर्ष बड़े ही उत्साह और भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है।

​”यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हमारे समाज में एकता और धार्मिक भावना को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है,” एक स्थानीय ग्रामीण ने बताया।

 

मेले का भव्य आयोजन

​श्रद्धालुओं की सुविधा और मनोरंजन के लिए मेला स्थल पर व्यापक प्रबंध किए गए थे:

  • भंडारे का आयोजन किया गया, जहाँ भक्तों को प्रसाद स्वरूप भोजन वितरित किया गया।
  • ​बच्चों और युवाओं के मनोरंजन के लिए झूले और झांकी भी लगाई गईं।
  • ​मेले की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ।

सुरक्षा और व्यवस्था

​मखदुमपुर के स्थानीय प्रशासन ने मेले के सफल और शांतिपूर्ण संचालन हेतु कड़ी सुरक्षा और स्वच्छता के इंतजाम किए थे।

  • ​श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु पर्याप्त जल, भोजन और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी।

​इस वार्षिक आयोजन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि गंगा मेला केवल एक धार्मिक स्नान नहीं, बल्कि सामाजिक सद्भाव और सामूहिक भक्ति का एक जीवंत प्रतीक है।

Show More
Back to top button
error: Content is protected !!