
रामलीला मंचन: धर्म, भक्ति और अटूट मित्रता का विराट प्रदर्शन

हस्तिनापुर, 29 सितंबर 2025:आज हस्तिनापुर के रामलीला मैदान में प्रभु श्री राम की लीलाओं का ऐसा भावपूर्ण और रोमांचक मंचन हुआ, जिसने दर्शकों को भक्ति, शौर्य और मानवीय रिश्तों के गहरे अर्थ से सराबोर कर दिया। मंच पर एक साथ धर्म की स्थापना, खर-दूषण जैसे दुष्टों का वध, शबरी की अनन्य भक्ति और राम-सुग्रीव की अटूट मित्रता का मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया।

खर दूषण वध


मंचन को देखते हुए नगरवासी
सीता हरण: छल और अधर्म की पराकाष्ठा मंचन का आरंभ उस मार्मिक घटना से हुआ, जिसने पूरी रामकथा को मोड़ दिया। सीता हरण के दृश्य में रावण के छल और मारीच के मायावी हिरण की लीला को इतनी सजीवता से दर्शाया गया कि दर्शक स्तब्ध रह गए। साधु वेश में आए रावण द्वारा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की पत्नी सीता का हरण देख सभी की आँखें नम हो गईं। इस दृश्य ने यह संदेश दिया कि अधर्म चाहे कितना भी बलवान क्यों न हो, उसका अंत निश्चित है।खर-दूषण वध: शौर्य और धर्म की विजय इसके पश्चात, राक्षसी शक्तियों के प्रतीक खर-दूषण वध का दृश्य मंचित हुआ। भगवान राम और लक्ष्मण के सामने क्रूर राक्षसों की सेना क्षण भर भी नहीं टिक पाई। यह दृश्य बताता है कि जहाँ धर्म है, वहाँ विजय निश्चित है। यह केवल राक्षसों का वध नहीं था, बल्कि अन्याय और अत्याचार पर न्याय की प्रचंड विजय थी। शबरी को नवदा भक्ति: सच्चा प्रेम और समानता मंचन का सबसे हृदयस्पर्शी पल शबरी को नवदा भक्ति का उपदेश था। प्रभु श्री राम जब शबरी की कुटिया में पहुँचे, तो उन्होंने जात-पात या ऊँच-नीच के भेद को नकारते हुए, केवल उनके निश्छल प्रेम और शुद्ध भक्ति को स्वीकार किया। राम जी ने उन्हें नवधा भक्ति के नौ रूप समझाए, जिसमें ‘सत्य पर विश्वास’ और ‘निष्काम कर्म’ को प्रमुख बताया गया। शबरी द्वारा प्रेम से जूठे किए गए बेर खाना यह दर्शाता है कि भगवान के लिए केवल भक्त का भाव मायने रखता है, आडंबर नहीं।राम-सुग्रीव मित्रता: अटूट विश्वास का आदर्श अंत में, राम और सुग्रीव की मित्रता का मनमोहक चित्रण हुआ। संकट की घड़ी में, हनुमान जी की मध्यस्थता से हुई यह मित्रता ‘आपसी विश्वास’ और ‘एक-दूसरे के दुख हरने’ के आदर्श को स्थापित करती है। राम ने सुग्रीव को उनका राज्य वापस दिलाया और सुग्रीव ने माता सीता की खोज में पूरी निष्ठा से साथ दिया। यह दृश्य वर्तमान समाज को सिखाता है कि निस्वार्थ और सच्चा मित्र जीवन की सबसे बड़ी शक्ति होता है।
रामलीला कमेटी ने बताया कि आज के मंचन ने दर्शकों को केवल मनोरंजन नहीं दिया, बल्कि उन्हें जीवन के उच्च मूल्यों – भक्ति, शौर्य, प्रेम और मित्रता – को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया है।










