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महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर सामाजिक समरसता का संदेश

कुशीनगर जिले के पडरौना में राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर शुक्रवार को पडरौना के शुक्ला मैरेज हॉल में एक पुण्यतिथि एवं सहभोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इ

कुशीनगर जिले के पडरौना में राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर शुक्रवार को पडरौना के शुक्ला मैरेज हॉल में एक पुण्यतिथि एवं सहभोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान महंत अवेद्यनाथ के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्व हिंदू महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष भिखारी प्रजापति ने अपने संबोधन में कहा कि महंत अवेद्यनाथ ने सामाजिक समरसता का एक बड़ा संदेश दिया था। उन्होंने उस दौर में जब दलितों के साथ अस्पृश्यता का व्यवहार किया जाता था, तब अपने ही समाज के विरोध के बावजूद काशी के डोमराजा के घर भोजन किया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ भोजन नहीं था, बल्कि समाज को जोड़ने और दलितों को मुख्यधारा से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण कदम था। उनके इस मिशन को उनके शिष्य और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज भी आगे बढ़ा रहे हैं। विशिष्ट अतिथि हरिनारायण महाराज, प्रदेश अध्यक्ष सनातन

रक्षा वाहिनी, ने बताया कि महंत अवेद्यनाथ 1981 में तमिलनाडु के मीनाक्षीपुरम में हुए सामूहिक धर्मांतरण की घटना से बहुत आहत थे। इसी घटना के बाद उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाया कि ऐसी घटना उत्तर भारत में न हो।

उन्होंने संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन कर एक मजबूत संदेश दिया था। विश्व हिन्दू महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष दिग्विजकिशोर शाही ने कहा कि महंत अवेद्यनाथ का मुख्य उद्देश्य बहुसंख्यक समाज के दलित तबके को सामाजिक समरसता का संदेश देना था। उन्होंने बिना किसी भेदभाव के सामूहिक भोज का जो सिलसिला शुरू किया, वह आज भी उनके शिष्य योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जारी है। विश्व हिन्दू महासंघ के प्रदेश मंत्री राजन जायसवाल ने बताया कि ब्रह्मलीन

महंत अवेद्यनाथ मूलतः संत थे और वे सभी के लिए स्वीकार्य थे। मीनाक्षीपुरम की घटना ही उनके सक्रिय राजनीति में आने की वजह बनी। उन्होंने कहा कि सितंबर का महीना गोरक्षपीठ के लिए खास होता है, क्योंकि इसी महीने में महंत अवेद्यनाथ और उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ दोनों की पुण्यतिथि पड़ती है। इस अवसर पर कमलेश शाही, बृजेश तिवारी, संतोष जायसवाल, संजय गुप्ता, सुरेश यादव,संजय गुप्ता, श्रवण कुमार मद्धेशिया पत्रकार, सपना श्रीवास्तव, मीरा दूबे, नरेंद्र मिश्रा, पवन सिंह, नागेंद्र पासवान, ब्रजमोहन जायसवाल, दूधनाथ वर्मा, राजनाथ कुशवाहा, संदीप शर्मा सत्या, रविंद्र गुप्ता, जुगनू राय, रामजीत यादव, राजकुमार, राजेश साहनी, सुगंती देवी, योगेंद्र चौहान, कैलाश कुशवाहा सहित सभी प्रकोष्ठों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

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