
खादर क्षेत्र में आई बाढ़ से लोगों को धीरे-धीरे राहत मिल रही है। गंगा का पानी वापस अपनी धार में पहुंच रहा है। परंतु बाढ़ के बाद अब रोजी रोटी का संकट उनके आगे गहरा रहा है। बस्तोरा नारंग पलायन करने वाले ग्रामीण भी अब गांव में लौटने लगे हैं। खेतों में बर्बाद फसल गांव की टूटी सड़कें अब उनकी दैनिक दिनचर्या को भी प्रभावित कर रही है। बाढ़ के बाद कई दिनों से पानी में कोई वस्तुओं के सड़ने गलन से अब बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार लोगों का चेकअप
करने में जुटी हैं। हर एक इलाके पर नजर रखी जा रही है। गंगा में आई बाढ़ ने ग्रामीणों को गहरे जख्म दे गई है। खादर क्षेत्र के एक धान दर्जन अधिक गावों में दूर-दूर तक बर्बाद धान और गन्ने की फसल दिखाई दे रही है। फसल पानी में डूबने के चलते पूरी तरह खराब
हो गई है। गांवों की सड़कें टूट गई हैं। पानी के बहाव में घरों तक कीचड़ भर गया था। पानी उतरने के बाद अब गांव में सफाई अभियान की मांग की जा रही है। बाढ़ के बाद अब लोगों को और कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खादर क्षेत्र के कई गांव धान और गन्ने
की फसल के लिए जानें थे आज यह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। ( बीते दिनों में गंगा नदी के रौद्र रूप और मूसलाधार बारिश ने इस गांव की तस्वीर ही बदलकर रख दी है। गंगा का पानी तो अब उतर चुका है लेकिन यह अपने पीछे तबाही जो गहरे निशान छोड़ गया है। इससे यहां के लोग एक अनकहे डर और भविष्य की चिंता में जी रहे हैं। खादर क्षेत्र में प्रवेश करते ही बाढ़ की भयावहता का मंजर साफ दिखाई देतात है। जो सड़कें कभी गांव को मुख्य मार्गों र से जोड़ती थीं वे आज गड्ढों और दरारों से भरी पड़ी हैं। उनका अस्तित्व लगभग मिट चुका है।













