
मुजफ्फरनगर। ज़िले की प्रशासनिक व्यवस्था इस समय सवालों के घेरे में है। बीते 24 घंटे में जिले के दो उप जिलाधिकारियों पर रिश्वत लेकर भूमाफियाओं को संरक्षण देने और अपने ही आदेशों की अवहेलना करने के आरोप लगे हैं। इन खुलासों ने न केवल जनता को स्तब्ध किया है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है।पहला मामला: SDM सदर निकिता शर्मा पर कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार का हमला
शुरुआत हुई राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार के बयान से, जिन्होंने मुजफ्फरनगर की सदर तहसील की एसडीएम निकिता शर्मा पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि वह भूमाफियाओं से सांठगांठ कर रही हैं और अवैध कब्जों को नजरअंदाज कर रही हैं। मंत्री ने सीधे तौर पर कहा कि प्रशासन के कुछ अधिकारी पैसे लेकर गलत तत्वों को बचा रहे हैं और जनता की शिकायतों को नजरअंदाज कर रहे हैंदूसरा मामला: जानसठ SDM जयेंद्र कुमार पर विक्रम सैनी का गंभीर आरोप
इसके कुछ ही घंटों बाद जानसठ तहसील से भी बड़ा मामला सामने आया। ग्राम भलेड़ी निवासी महिला सुदेश कुमारी पत्नी चरण सिंह ने जिलाधिकारी को शिकायत देते हुए आरोप लगाया कि उनकी आबादी भूमि पर दूसरे पक्ष के मुक्तराम और कर्म सिंह जबरन निर्माण करा रहे हैं। जबकि इस संबंध में उप जिलाधिकारी जानसठ जयेंद्र कुमार ने 30 मई 2025 को स्पष्ट आदेश दिया था कि भूमि की यथास्थिति बनी रहे।सुदेश कुमारी ने आरोप लगाया कि एसडीएम जानसठ ने अपने ही आदेश का पालन नहीं कराया और दूसरे पक्ष को कब्जा करने दिया।
इस पर भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सैनी ने तीखा बयान जारी करते हुए कहा कि,
“जिले में अफसर पैसे लेकर अपने ही आदेशों को रद्दी में डाल रहे हैं। यह भ्रष्टाचार का खुला खेल है और प्रशासनिक विश्वास की हत्या है।”पूर्व विधायक विक्रम सैनी ने कहा कि, “अब प्रशासन के भीतर भ्रष्टाचार खुलकर सामने आने लगा है। अधिकारी पैसे लेकर भूमाफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं। जानसठ के SDM ने खुद का पारित आदेश रद्दी की टोकरी में फेंक दिया और दूसरे पक्ष को ज़मीन पर कब्जा करने दिया। यह भ्रष्टाचार का खुला खेल है।”
मानसिक प्रताड़ना और न्याय की गुहार
पीड़िता सुदेश कुमारी ने कहा कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्रशासन ने कोई मदद नहीं की और उन्हें मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने पुलिस बल की सहायता से निर्माण रोकने और दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
सियासी दबाव में प्रशासन
दो दिनों के भीतर दो SDM पर गंभीर आरोप लगने के बाद अफसरशाही की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल उठ गया है। मंत्री और पूर्व विधायक के खुलकर आरोप लगाने से मामला तूल पकड़ चुका है। ऐसे में देखना होगा कि जिला प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता है और क्या वाकई दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।