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*पिस्तौल से निकली गोली और मुंह से निकली बोली दोनों ही वापस नहीं आते :-ललित प्रभ*

*दिल में दया का, हाथ में दान का और जुबान में मिठास का अमृत रखें* - "राष्ट्रसंत श्री ललित प्रभ जी के बोलने की कला पर प्रवचन को सुनने के लिए उमड़े श्रद्धालु",

*पिस्तौल से निकली गोली और मुंह से निकली बोली दोनों ही वापस नहीं आते :-ललित प्रभ*
*दिल में दया का, हाथ में दान का और जुबान में मिठास का अमृत रखें* – “राष्ट्रसंत श्री ललित प्रभ जी के बोलने की कला पर प्रवचन को
सुनने के लिए उमड़े श्रद्धालु”,

*थे तो मीठा मीठा… मारवाड़ी भजन पर खड़े होकर झूमे श्रद्धालु*

*खंडवा वासियों की मांग पर शुक्रवार को भी होंगे विशेष प्रवचन*
खंडवा 22 मई। राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि इंसान की पहचान ऊँचे पहनावे से नहीं ऊँची जुबान से होती है। हम शब्दों को संभालकर बोलें। शब्दों में बड़ी जान होती है। इन्हीं से आरती, अरदास और अजान होती है। ये समंदर के वे मोती हैं जिनसे अच्छे आदमी की पहचान होती है। उन्होंने कहा कि बोलने की कला राम से सीखो। जहाँ रावण ने कड़क जबान से अपने सगे भाई विभीषण को खो दिया वहीं राम ने मीठी जबान से दुश्मन के भाई को भी अपना बना लिया। अगर द्रोपदी भी दुर्योधन पर ‘अंधे का बेटा अंधा कहने का व्यग्ंय बाण न छोड़ती तो शायद न उसका चीरहरण होता न महाभारत का युद्ध छिड़ता। आपने कहा बहुत सोच समझकर बंदूक उठाकर गोली चलाए और उससे भी ज्यादा लाख बार सोच समझ कर जबान चलाएं । क्योंकि आपके मुंह से निकली बोली सर्वनाश की और भी ले जा सकती हैं।संत प्रवर गुरुवार को सकल जैन संघ द्वारा रामकृष्ण गंज स्थित पुरानी अनाज मंडी में आयोजित प्रवचन माला के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बोलने की कला में ही लोकप्रियता का राज छिपा हुआ है। हमारे करियर में चेहरे की खूबसूरती की भूमिका दस प्रतिशत होती है, पर वाणी की खूबसूरती की भूमिका नब्बे प्रतिशत। अगर काला व्यक्ति भी सही ढंग से बोलेगा तो लोगों को सुहाएगा और गोरा व्यक्ति अंट-संट बोलेगा तो लोगों को खटकेगा। ग्राहक भी उसी दुकान पर ज्यादा आते हैं जहाँ मिठास भरा व्यवहार होता है और घर में भी वही बहू सास को ज्यादा सुहाती है जो मिठास भरी भाषा बोलती है। उन्होंने कहा कि किसी भी रिश्ते के टूटने के पीछे धन, दौलत, जमीन-जायदाद का कम, कड़वी जबान का हाथ ज्यादा हुआ करता है। व्यक्ति जबान का सही उपयोग करके टूटे रिश्तों को भी सांध सकता है और बिगड़े माहौल को अपने अनुकूल बना सकता है।
किसी पर भी व्यंग्य मत कसिए-संतप्रवर ने कहा कि हम किसी को सुख पहुँचाएँ तो अच्छी बात है, पर किसी पर व्यंग्य कसकर उसे दुख भूलचूककर भी न पहुँचाएँ। हम तो व्यंग्य भरी और टेढ़ी बात बोलकर खिसक जाते हैं, पर इससे किसी के दिल को कितनी ठेस पहुँचती है उसका हम अनुमान लगा नहीं पाते। हमें केवल बोलना ही नहीं आना चाहिए, वरन् क्या बोलना, कब बोलना, कैसे बोलना यह भी आना चाहिए।
मीठो मीठो बोल थारो कांई लागै… भजन पर खड़े होकर झूमे सत्संंग प्रेमी-प्रवचन के दौरान जब संतप्रवर ने ‘थे तो मीठा मीठा सगला सुख पासी… का मारवाड़ी भजन सुनाया तो सत्संगप्रेमी खड़े होकर झूमने लगे।
इससे पूर्व डाॅ मुनि शांतिप्रिय सागर महाराज ने कहा कि दिन की शुरु आत में लगता है जिन्दगी में पैसा जरूरी है, पर रात को सोते समय लगता है जिन्दगी में मन की शांति जरूरी है। मन की शांति जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। वह समृद्धि व्यर्थ है जिसमें शांति का अमृत न हो। मन की शांति का मूल्य क्या है यह किसी ऐसे समृद्ध व्यक्ति से जाकर पूछें जो समृद्धि का तो सिकंदर है लेकिन मन की शांति की झोली खाली है।संत प्रवर ने कहा कि व्यर्थ के ऊहापोह मत पालिए। श्वेतांबर जैन समाज के प्रचार मंत्री चंद्रकुमार सांड ने बताया कि खंडवा वासियों के विशेष आग्रह पर राष्ट्र संत के प्रवचन का लाभ एक दिन और मिलने जा रहा हे ।अब शुक्र वार को भी मंडी प्रांगण में प्रवचन होंगे ।
*घर को कैसे स्वर्ग बनाएं* विषय पर संत श्री शुक्र वार को पुरानी अनाज मंडी में सुबह 9 से 11 बजे तक विशेष प्रवचन और सत्संग करेंगे।
*प्रचार मंत्री चंद्रकुमार सांड ने बताया कि गुरुवार को मंडी प्रांगण में आयोजन प्रमुख विजय जैन , रोहित मेहता नवनीत बोथरा, अभय जैन मेघराज जैन वाडीलाल पटेल द्वारा सुरेश गंगवाल इंदौर विजय अग्रवाल सेंधवा राजपाल सिंह तोमर जिला अध्यक्ष भाजपा राकेश बंसल खंडवा तपन डोंगरे खंडवा का कार्यक्रम पश्चात् ज्ञान पुष्प भेंट कर सम्मान किया गया । कार्यक्रम का संचालन नवनीत बोथरा ने किया आभार विजय जैन ने माना ।व्याख्यान माला के दूसरे दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।इस दौरान शहर के कई गणमान्य नागरिकों सहित बाहर से आए श्रद्धालुओं की भीड़ रही।*

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