
रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्यप्रदेश
राज्यपाल मंगुभाई पटेल कहा है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय का नाम शल्य चिकित्सा के जनक महर्षि सुश्रुत के नाम पर रखा जाएगा। राज्यपाल ने यह बात विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही। विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह नेताजी सुभाषचंद्र बोस सांस्कृतिक एवं सूचना केन्द्र जबलपुर में आयोजित किया गया था। राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह का दिन विद्यार्थियों के लिए संस्थान में उनकी शिक्षा पूरी हो जाने के बाद जीवन के नए अध्याय की शुरुआत करने वाला मील का पत्थर होता है। मेडिकल शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जो विद्यार्थियों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाता है। उन्हें समाज के लिए कुछ करने का अवसर प्रदान करता है। चिकित्सकों का कार्य सिर्फ रोगों का इलाज करना नहीं है। उन्हें रोगी के अंदर बीमारी से लड़ने का आत्मविश्वास पैदा करना और जीवन की उम्मीद जगाने का काम भी करना है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को भावी जीवन में प्रगति के लिए निरंतर सीखने की इच्छा बनाए रखने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि सीखने से ऊर्जा का निरंतर संचार होता है। व्यक्ति का सामर्थ्य भी विकसित होता है।संस्थान से आधुनिकतम तकनीकों को अपनाने के लिए सदैव तत्पर रहने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि आधुनिकतम तकनीकों को अपनाने से रोगियों के बेहतर इलाज के साथ चिकित्सकों की कार्य दक्षता में भी बढ़ोत्तरी होती है। उन्होंने कहा कि भारत को विकसित देश बनाने के लिए समाज के वंचित वर्ग को आगे लाने की आवश्यकता है। इसके लिये उनमें आकांक्षाएं जगाने की जरूरत है ताकि वे भी देश के विकास में हिस्सेदार बन सकें। राज्यपाल ने कहा कि युवाओं को अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि चिकित्सकों को पहले रोगियों के रोग को समझना चाहिए। रोगियों की बातों को सुनना चाहिए। चिकित्सकों द्वारा रोगियों की बातों को अच्छी तरह सुनने से रोगियों का आधा दर्द दूर हो जाता है। उन्होंने कहा कि समाज में चिकित्सकों का स्थान भगवान के समान है। भारत को विकसित देश बनाने में चिकित्सकों की भूमिका अहम है।