
*श्रीमद्भागवत समापन दिवस पर भावुक हूए श्रोता*
*श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से होता है जीव का उद्धार*
पं मोहित शास्त्री
खण्डवा//श्रीमद्भागवत कथा का 7 दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है ।कलयुग केवल नाम अधारा,सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा। कलयुग में जीवन के सभी पापों से मुक्ति का एकमात्र आधार भगवान की भक्ति है। भगवान का नाम स्मरण करने से ही भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है ।भक्त की साधना से खुश होकर भगवान रीझ जाते हैं।उपरोक्त उदगार भवानी माता मंदिर प्रांगण में 6 अप्रैल से प्रतिदिन आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस भगवताचार्य पं मोहित शास्त्री चामुंडिका धाम धनोरा ने व्यक्त करते हुए कहे।समिति के मीडिया प्रभारी नारायण बाहेती व सुनील जैन ने बताया कि कथा के सातवें दिवस समापन अवसर पर भगवताचार्य पंडित मोहित शास्त्री जी ने श्रीमद्भागवत समिति व देवेन्द्र डाँड़गे परिवार का धन्यवाद करते हुए श्रोताओं को इतनी अधिक गर्मी होने पर भी सात दिनों तक आकर कथा श्रवण करने हेतु धन्यवाद दिया।शास्त्री जी व सभी श्रोता भी भावुक हो गए।कथा में विधायक कंचन मुकेश तनवे व महापौर अमृता अमर यादव ने उपस्थित होकर कथा की उपयोगिता बताई व सफल आयोजन पर बधाई दी। लायन्स क्लब खण्डवा नेत्रदान व देहदान समिति के नारायण बाहेती व सदस्यों ने मरणोपरांत नेत्रदान व देहदान की जानकारी देकर मरणोपरांत नेत्रदान व देहदान की अपील कर संकल्प पत्र भरने की बात कही। कथा के पूर्व देवेंद्र डाँडगे, सरोज बाई डाँडगे,बाबूलाल बिढारे,मोहनलाल डाँड़गे, नारायण बाहेती, सुरेंद्र बिडारे, सुनील जैन,ललित ढाक्से, ज्ञानेश्वर डाँड़गे,रविन्द्र बिडारे,प्रवीण खरटे, बिरजू जामने,पन्नालाल खरटे, जगदीश खरटे आदि ने व्यासपीठ का पुजन व आरती की। कथा विराम पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं, पुरुषों व बच्चों ने प्रसादी ग्रहण की।देवेन्द्र डाँड़गे ने सभी का आभार माना।