ताज़ा ख़बरें

शीतलहर के कारण फसलों में हो रहे प्रकोप को रोकने के लिए दी विभिन्न जानकारी  

खास खबर

शीतलहर के कारण फसलों में हो रहे प्रकोप को रोकने के लिए दी विभिन्न जानकारी  
खण्डवा 25 दिसम्बर, 2024 – मौसम विज्ञान केन्द्र भोपाल की जानकारी के अनुसार दिसम्बर के अंतिम सप्ताह से पूरे मध्य प्रदेश में शीतलहर का दौर शुरू होना संभावित है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास उप संचालक श्री के.सी. वास्केल ने बताया कि शीतलहर के कारण पौधे की पत्तियां व फूल झुलसते, बाद में झड़ जाते हैं। शीतलहर का अत्यधिक असर दलहनी-तिलहनी, धनिया, मटर व आलू की फसलों पर पड़ता है। दिसम्बर व जनवरी में रात के समय तापमान 4-5 डिग्री या इससे कम होता है तब धरातल के आसपास व फसलों-पौधों की पत्तियों पर बर्फ की पतली परत जम जाती है। इसी परत को पाला कहते हैं। पौधों की पत्तियों पर पाले का प्रकोप रात 12 से सुबह 4 बजे के पहर पर होता है। पाले से प्रभावित फसल व पौधों की पत्तियों पर पानी की बूंद जमा हो जाती है, पत्तियों की कोशिका भित्ती फट जाती है जिससे पत्तियां सूखकर झड़ने लगती हैं।उप संचालक श्री वास्केल ने बताया कि पाले से बचाव हेतु रात्रि में खेत की मेड़ों पर कचरा तथा खरपतवार आदि जलाकर धुंआ करें। फसलों में खरपतवार नियंत्रण करना भी आवश्यक है, क्योकि खेतों में होने वाले अनावश्यक तथा जंगली पौधे सूर्य की उष्मा भूमि तक पहुँचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। इन पौधों को उखाड कर मल्चिंग करना भी तापमान के असर को कुछ हद तक नियंत्रित करता है। इसके अतिरिक्त 8 से 10 कि.ग्रा. सल्फर डस्ट प्रति एकड का भुरकाव अथवा वेटेबल या घुलनशील सल्फर 200 ग्राम या ग्लूकोस पाउडर 500 ग्राम या थायो यूरिया 500 ग्राम या पोटेशियम सल्फेट (0ः0ः50) 200 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। साइकोसिल 400 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि जिले में मावठा गिरने की सम्भावना है जिससे चना फसल में फूल गिरने की समस्या हो सकती है जिसके बचाव हेतु नेफथाइल एसिटिक एसिड की 4.5 एम.एल. प्रति पंप छिडकाव करने से उक्त समस्या से बचा जा सकता है।उप संचालक श्री वास्केल ने बताया कि जिले में कँही-कँही पर गेहूँ फसल में नीचे की पत्तियां पीली, चना फसल में नीचे की पत्तियां पीली पड़ने की समस्या देखने में आ रही है। ऐसी समस्या होने पर बिक्साफेन 75 ग्रा./ली. प्रोथियोकोनाजोल 150 ग्रा./ली. का 50 एम.एल. प्रति पंप या मेटलैक्सिल- एम. 3.3 प्रतिशत के साथ क्लोरोथालोनिल 33.1 प्रतिशत का 2 एम.एल. प्रति लिटर का  छिड़काव  करें। उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप देखने में आ रहा है जिसके नियंत्रण के लिए फिप्रानिल 40 प्रतिशत के साथ इमिडाक्लोप्रिड 40 प्रतिशत वी.जी. 10 ग्राम प्रति पंप अथवा क्लोरपाइरीफॉस 50 ईसी मात्रा 1 लीटर प्रति एकड़  सिचाई पानी के माध्यम से  देवे। मक्का फसल में फाल आर्मी वर्म का प्रकोप होने पर नोवालुरोन 5.25 प्रतिशत के साथ इंडोक्साकार्ब 4.5 प्रतिशत एस.सी. या नोवालुरोन 5.25 प्रतिशत के साथ इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9 प्रतिशत एस.सी. 35 एम.एल. प्रति पंप के हिसाब से छिडकाव करे तथा ‘‘टी‘‘ आकर की 20 खूटियाँ  प्रति एकड़ लगाने से भी कीट का नियंत्रण किया जा सकता है।

Show More
Back to top button
error: Content is protected !!