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एक मौसम दो मिजा़ज डॉ कंचन जैन “स्वर्णा”

जिला संवाददाता शिवानी जैन एडवोकेट

एक मौसम दो मिजा़ज

डॉ कंचन जैन “स्वर्णा”

 

 

 

कुछ गलती करके, मुकर गए ।

कुछ गलती के नाम से भी, सहर गए ।

कुछ बेगुना शिकार हो गए,

किसी की ख्वाहिशों का ,

कुछ गुनाह के नाम से ही मर गए ।।

कुछ हसा कर खुश हो गए ।

कुछ रूलाने का बहाना ना मिलने से,

परेशान हो गए ।

ऐ जिंदगी ! ये क्या है ?

एक ही मौसम मेंरे

दो मिजाज हो गए 

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