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तेज गर्मी और लू से बचने के लिए एडवाइजरी जारी

खास खबर

तेज गर्मी और लू से बचने के लिए एडवाइजरी जारी
खंडवा 29 अप्रैल, 2025 – 
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओ.पी. जुगतावत ने ग्रीष्मकाल में बढ़ते तापमान एवं लू से बचने के लिए जिले के सभी नागरिकों से सावधानियाँ बरतने का आग्रह किया एवं सभी नागरिकों से अपील की है कि जिले में ग्रीष्मकाल में अप्रैल माह से जून माह तक 40 डिग्री सेल्सियस के उपर तापमान पहुँच जाता है। इन महीनों में अधिक देर तक बाहर धूप में रहने से लू के शिकार हो जाते हैं। इससे कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है। आहार विकार पर ध्यान देने से लू या संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है। लू से शिकार व्यक्ति को तेज सिर दर्द होता है, मुँह-जुबान सूखने लगती है, माथे, हाथ, पैर से पसीना आता है व घबराहट होती है और प्यास लगती है, उल्टी होती है, भूख नहीं लगती है तथा हालत अधिक खराब होने से मरीज बेहोश हो जाता है। त्वचा एक दम शुष्क और तापमान 100 डिग्री फेरेनाईट से अधिक हो जाता है । गर्मी के कारण शरीर मेेें पानी की कमी हो जाती है, बुखार हाथ पैरों में दर्द, आँखों और पेशाब में जलन के साथ ही कभी-कभी दस्त भी लगते हैं। साथ ही पानी की कमी के कारण मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में गर्दन के पिछले भाग, कान व सिर को गमछे या तौलिये से ढककर ही धूप में निकलें एवं रंगीन चश्मे व छतरी का प्रयोग करें ।  गर्मी के दिनों में धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हलके रंग के ढीले कपड़ों का प्रयोग करें।  बिना भोजन किये बाहर न निकलें । भोजन करके एवं पानी पीकर ही बाहर निकले । गर्मी में हमेशा पानी अधिक मात्रा में पियें एवं पेय पदार्थों का अधिक-से-अधिक मात्रा में सेवन करें । जहाँ तक संभव हो ज्यादा समय तक धूप में खड़े होकर व्यायाम या मेहनत न करें एवं बहुत अधिक भीड़, गर्म घुटन भरे कमरों, रेल, बस आदि की यात्रा गर्मी के मौसम में नहीं करें। यदि कोई व्यक्ति लू-तापधात से प्रभावित होता है तो उसका तत्काल इन तरीकों से प्राथमिक उपचार किया जाये। रोगी को तुरन्त छायादार जगह पर कपडे ढ़ीलें कर लिटा दें एवं हवा करें । रोगी को होश आने की दशा में उसे ठण्डे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चे आम का पना आदि दें। प्याज का रस अथवा जोै के आटे को भी ताप नियंत्रण हेतु मला जा सकता है।  रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिये यदि संभव हो तो उसे ठण्डे पानी से स्नान करायें या उसके शरीर पर ठण्डे पानी की पट्टियाँ रखकर पूरे शरीर को ढंक दें । इस प्रक्रिया को तब तक दोहरायें जब तक की शरीर का ताप कम नहीं हो जाता है। उक्त उपचार से यदि मरीज ठीक नहीं होता है, तो उसे तत्काल निकट की चिकित्सा संस्था में भेजा जाये।

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