
कुपोषित बच्चों और मातृत्व एनीमिया की जांच, पहचान और उपचार को लेकर प्रशिक्षण
कुपोषित बच्चों तथा मातृत्व एनीमया की पहचान कर मुहैया करायी जा रही उपचार सेवाएं
गया, 21 जनवरी: जिला में कुपोषित बच्चों तथा मातृत्व एनमिया की जांच, पहचान, उपचार और रेफरल को लेकर स्वास्थ्य विभाग की कवायद जारी है। इनसे जुड़ी सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों का नियमित प्रशिक्षण हो रहा है। इस क्रम में मंगलवार को चार प्रखंडों गया सदर, मानपुर, बोधगया तथा परैया की एएनएम का एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण का आयोजन बैचवार तीन दिनों तक होगा जिसमें कुल 166 एएनएम को प्रशिक्षण दिया जाना है। आगे अन्य प्रखंडों का भी प्रशिक्षण किया जाना है। जिला स्वास्थ्य समिति, एम्स पटना तथा युनिसेफ के सहयोग से आयोजित प्रशिक्षण का शुभारंभ डीपीएम स्वास्थ्य नीलेश कुमार, डीआईओ डॉ राजीव अंबष्ट, पोषण पदाधिकारी डॉ संदीप घोष, डॉ शिवानी डार, एम्स पटना से डॉ दीपिका, डॉ वेंकेंटैथ तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर राज्य एवं जिला स्तर से यूनिसेफ सलाहकार प्रकाश सिंह, गगन, अमरेंद्र, अंकित कुमार व अन्य मौजूद रहे। डीपीएम ने कहा कि कुपोषित बच्चों तथा मातृत्व एनीमया की भी पहचान कर उपचार सेवाएं मुहैया करायी जा रही है। इसके लिए नियमित प्रशिक्षण की भी जरूरत है। इसे देखते हुए इस प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है।
बाल संवर्धन पर मिला आवश्यक प्रशिक्षण:
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को बाल संवर्धन के बारे में समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन के दस चरण के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। प्रतिभागियों को वृद्धि निगरानी, कुपोषित बच्चों के भूख का परिक्षण, चिकित्सा मूल्यांकन, पोषण तथा चिकित्सीय प्रबंधन, स्वास्थ्य एवं साफ—सफाई, नियमित निगरानी जैसे विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गयी। साथ ही बच्चों के विकास निगरानी और जनजागरूकता में आंगनबाडी के सहयोग, कुपोषित बच्चों को एनआरसी में रेफर करने में मदद, परिवारों और देखभाल करने वालों को परामर्श, उचित आहार प्रथाओं और साफ—सफाई से संबंधित विषयों पर प्रशिक्षण दिये गये। चिन्हित सभी गंभीर रूप् से कम वजन और गंभीर रूप से दुबले बच्चों के भूख के परीक्षण की जानकारी दी गयी। साथ ही बच्चे का वजन और उंचाई रिकॉर्ड करना और पोषण ट्रैकर ऐप में आंकड़े दर्ज करना, जैसे विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया।
एनीमिया के लक्षणों के बारें में रखें जानकारी:
प्रशिक्षण के दौरान महिला में एनीमिया के लक्षणों की पहचान करने के बारे में बताया गया। इन लक्षणों में इनमें त्वचा, चेहरे, जीभ और आंखों की ललिमा की कमी, काम करने पर जल्दी ही थकावट हो जाना, सांस फूलना या घुटन होना, काम में ध्यान न लगना और बातें भूल जाना, चक्कर आना, भूख न लगना और चेहरे और पैरों में सूजन आदि की जानकारी दी गयी। बताया गया कि खून में आयरन की सही मात्रा होने से बच्चे का उचित शारीरिक और मानसिक विकास होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। आयरन युक्त भोजन के साथ विटाामिन सी युक्त चीजें खाने से आयरन का बेहतर अवशोषण होता है। इसलिए खाने में पत्तागोभी, फूलगोभी, तरबूज, संतरा, नींबू, आंवला, टमाटर आदि खाने की सलाह एनीमिया प्रभावित महिला को अवश्य दें। इसके साथ ही खमीर युक्त या अंकुरित आहार का सेवन करें। जंक फूड या तला आहार, सोडा, चाय, कॉफी व नशीले पदार्थ से परहेज जरूरी है।
त्रिलोकी नाथ डिस्ट्रिक्ट हेड ग़या
त्रिलोक न्यूज़ ब्यूरो











