रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्य प्रदेश
जलवायु परिवर्तन के कारण, वैश्विक स्तर पर वार्षिक तापमान में वृद्धि हो रही है और इसका प्रभाव भारत सहित विश्व के विभिन्न हिस्सों में हीटवेव की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता में दृष्टिगोचर होती है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट में भी यह परिलक्षित होती है।मौसम विज्ञान विभाग द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, सामान्य तौर पर, उत्तरी मैदानी इलाकों और मध्य भारत को कवर करने वाले हीट कोर जोन में हीटवेव की आवृत्ति में वृद्धि हो रही है। हाल ही में आईएमडी ने हीटवेव पर एक मोनोग्राफ प्रकाशित किया जो भारत में हीटवेव पर व्यापक जानकारी प्रदान करता है। भारत सरकार द्वारा आने वाले वर्षों में हीटवेव के कारणों में कमी लाने के लिए राज्यों की मदद से अनेक पहलें की गई हैं। जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना और जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना इन प्रमुख पहलों में शामिल हैं। इसके अलावा, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा-प्रतिरोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन जैसी पहलों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाई है। भारत विकास के लिए निम्न-कार्बन वाली रणनीतियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार सक्रिय रूप से उनका अनुसरण कर रहा है। आईएमडी, देश के विभिन्न अनुसंधान केंद्रों के समन्वय के साथ, निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणालियों में सुधार लाने की दिशा में कई कदम उठा रहा है, जिससे हीटवेव सहित चरम मौसम के दौरान जीवन और संपत्ति के नुकसान में कमी लाने में मदद मिली है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से हीटवेव की स्थिति वाले 23 राज्यों में हीट एक्शन प्लान को संयुक्त रूप से लागू किया गया है। हीटवेव के कारण पिछले वर्ष फसल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, विशेष रूप से विभिन्न क्षेत्रों में कुछ सब्जियों ने खाद्य मुद्रास्फीति पर दबाव डाला।
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