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बलरामपुर की बेटी ने छत्तीसगढ़ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर, किया जिले का नाम रौशन…

बलरामपुर की बेटी ने छत्तीसगढ़ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर क्षेत्र में मचा खुशी का महौल...

बलरामपुर अनिल यादव:- बलरामपुर रामानुजगंज के सुनीता यादव ने कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर पूरे छत्तीसगढ़ में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपनी समाज के साथ साथ पूरे बलरामपुर जिले का नाम रौशन कर दी है। सुनीता के पिता एक किसान हैं। सुनीता हमेशा से ही पढ़ाई में अव्वल रही हैं।
बलरामपुर रामानुजगंज जिले की ग्राम पंचायत विजयनगर की निवासी सुनीता यादव ने छत्तीसगढ़ व्यापम के द्वारा आयोजित ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर पूरे छत्तीसगढ़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया। पूरे छत्तीसगढ़ से 27 हजार लोगों ने ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी के 305 पद के लिए परीक्षा दी थी। इसमें सुनीता ने पूरे छत्तीसगढ़ में प्रथम स्थान प्राप्त कर कर क्षेत्र का नाम रोशन किया। ग्राम विजयनगर के साधारण कृषक हीरा यादव की पुत्री सुनीता यादव शुरू से मेधावी रहीं। कक्षा दसवीं तक की पढ़ाई विजयनगर हाई स्कूल से की। वहीं, 11वीं 12वीं की पढ़ाई जामवंतपुर से की। इसके बाद उन्होंने दो महीने की कोचिंग में पीएटी का एग्जाम निकाला और उसका 158 रैंक आया। इसके बाद उसने बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई अंबिकापुर राजमोहिनी देवी एग्रीकल्चर कॉलेज से की।
सुनीता ने 2022 में सीईटी का एग्जाम दिया, जिसमें उसका 9वां रैंक आया। वर्तमान में सुनीता एमएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर रही हैं। वहीं, इस बीच छत्तीसगढ़ व्यापम द्वारा ग्रामीण किसी विकास अधिकारी के पद के लिए वैकेंसी निकाली गई, जिसमें उसने पूरे छत्तीसगढ़ में प्रथम स्थान प्राप्त कर क्षेत्र का नाम रोशन किया। मां की तबीयत खराब हुई तो दो साल मां की सेवा के लिए पढ़ाई से ब्रेक लिया। सन 2016 में बीएससी एग्रीकल्चर पढ़ाई प्रारंभ की और 2020 तक उसका बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई पूरी हो गया। इसी बीच मां की तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण मां की देखभाल के लिए उसने दो साल पढ़ाई से ब्रेक लिया और मां की सेवा करने लगी।

सुनीता ने जब दसवीं तक की पढ़ाई विजयनगर हाई स्कूल से पूरी की, उसके बाद उसके प्रतिभा को देखते हुए घर के लोग उसे बाहर भेजना चाहते थे। पैसा के अभाव में वह अपने मामा के घर आरागाही से रहकर जामवंतपुर आना-जाना करती थी। सुनीता के बुलंद हौसले के आगे कभी भी पैसा बाधक नहीं बना। अपनी प्रतिभा के बल पर वह हमेशा अव्वल रहीं।

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