
आस्था का सैलाब! हस्तिनापुर में गूंजा ‘सतनाम वाहेगुरु’, प्रकाश पर्व पर उमड़ी सिख संगत

हस्तिनापुर (मेरठ): सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व (जन्म जयंती) के पावन अवसर पर आज हस्तिनापुर की धरा पर आस्था का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। गुरुद्वारों में सुबह से ही सिख संगत का सैलाब उमड़ पड़ा, जहां भक्ति और सेवा का अनुपम संगम दिखाई दिया।
✨ गुरुद्वारे बने भक्ति के केंद्र
शहर के गुरुद्वारा पंज प्यारे भाई धर्म सिंह जी में विशेष आयोजन किए गए। वातावरण में कीर्तन रागी जत्थों द्वारा गाई जा रही गुरु की वाणी (गुरबाणी) की मधुर ध्वनि गूंजती रही, जिसे सुनकर हर श्रद्धालु धर्म लाभ अर्जित करता नज़र आया।
मुख्य आकर्षण: अखंड कीर्तन: प्रसिद्ध रागी जत्थों ने पूरी श्रद्धा के साथ गुरबाणी का गुणगान किया, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया।
सेवा भाव: संगत ने गुरुद्वारे की सेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जो गुरु नानक देव जी के ‘सेवा’ के संदेश को दर्शाता है।

लंगर प्रथा: गुरुद्वारा साहिब में दिन भर लंगर (सामुदायिक भोजन) की व्यवस्था रही, जहां हर वर्ग के लोगों ने एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण किया।
🌟 “विश्व भर में मनाया जा रहा प्रकाश पर्व”
गुरुद्वारा कमेटी के सदस्य भूपेन्द्र सिंह ने इस अवसर पर सभी को प्रकाश पर्व की बधाई दी और बताया, “यह हमारी खुशनसीबी है कि हम पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व इतनी श्रद्धा से मना रहे हैं। आज न केवल हस्तिनापुर, बल्कि विश्व भर में गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि गुरुद्वारा साहिब में गुरु की संगत न सिर्फ सेवा कर रही है, बल्कि कीर्तन के माध्यम से गुरबाणी का गुणगान भी किया जा रहा है।

💡 गुरु नानक देव जी का शाश्वत संदेश
प्रकाश पर्व गुरु नानक देव जी के मानवता, एकता और समानता के संदेश को याद करने का दिन है। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने गुरु के बताए तीन मूल मंत्रों पर चलने का संकल्प लिया:नाम जपना: ईश्वर का नाम जपना। किरत करना: ईमानदारी से काम करना।वंड छकना: मिल-बांटकर खाना।आज हस्तिनापुर में हर दिशा से आ रही ‘वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह’ की बुलंद आवाजें, इस बात की गवाह थीं कि गुरु का प्रकाश और उनका संदेश आज भी लाखों लोगों को सत्य और सद्भाव के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे रहा है।












