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सन्नाटा क्यों है भाई

सन्नाटा क्यों है भाई…

 

हेमंत काल में क्यों लगा कटनी भाजपा को सन्नाटा फीवर, तो क्या भाई साहब की विदाई का लगा सदमा, न बांटी मिठाई न आतिशबाजी और न आया शुभकामना संदेश, क्यों मुंह फुलाए घूम रहे भैया…

 

मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी को नया सेनापति मिल चुका है। नए सेनापति के रूप में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी हेमंत खंडेलवाल को सौंप दी गई है। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में हेमंत खंडेलवाल को निर्वाचित हुए एक दिन बीत चुका है। ऐसा लगता है जैसे नए प्रदेश अध्यक्ष श्री खंडेलवाल का निर्वाचन कटनी जिले की भाजपा के लिए सन्नाटा फीवर लेकर आया है। छोटी-छोटी बात पर आतिशबाजी, बैंड बाजा, मिठाईयां बांटना एवं बड़े-बड़े बयान जारी करने वाली कटनी भाजपा आखिर क्यों इतने बड़े अवसर पर उत्साह प्रदर्शित नहीं कर पा रही। क्या भाई साहब की विदाई का सदमा इतना गहरा लगा की कटनी भाजपा को हेमंत काल में सन्नाटे का अटैक पड़ गया। यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि हेमंत काल शुरू होने के बाद से ही कटनी भाजपा का रवैया और सोशल मीडिया में लगातार कटनी भाजपा की कार्यशैली पर की जा रही टीका टिप्पणी से प्रदर्शित होने लगी है।

 

भारतीय जनता पार्टी में नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के निर्वाचन की अधिकृत घोषणा हुए एक दिन बीत चुका है, लेकिन कटनी शहर में आश्चर्यजनक सन्नाटा पसरा है।

 

वैसे देखा जाए तो हेमंत खंडेलवाल की ताजपोशी 1 जुलाई की शाम सिंगल नामांकन के साथ ही हो गई थी, और इसी के साथ पूरे प्रदेश से हर्ष व्यक्त करने और बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया था, लेकिन दो जुलाई की सुबह अधिकृत ऐलान के बावजूद कटनी के जिला संगठन के जिम्मेदार लोगों को बधाई से संबंधित बयान जारी करने का वक्त नहीं मिल पाया या फिर यूं कहें कि उन्होंने परहेज किया। पूरा एक दिन बीत चुका हैं, लेकिन जिले में, खासकर शहर में कोई उत्साह दिखलाई नहीं पड़ रहा। आमतौर पर जरा जरा सी बात पर जिला संगठन के जिम्मेदार लोगों की प्रतिक्रिया और बयानों से पूरे वॉट्सएप ग्रुप और सोशल मीडिया भर जाता था, लेकिन प्रदेश में इतने बड़े बदलाव पर कटनी के तमाम प्रमुख नेताओं की चुप्पी देखी जा रही है। शायद ये फेरबदल उम्मीद के प्रतिकूल हो गया। यह बात अलहदा है कि निवर्तमान अध्यक्ष के कार्यकाल को यादगार और ऐतिहासिक बताने वाली पोस्टों की फेसबुक पर बाढ़ आ गई। खैर…..एक नेता की प्रतिक्रिया थी कि इतनी जल्दी भी क्या है। 5 साल की आदत एक दिन में कैसे बदलेगी।

 

अभी तो वैसे भी तमाम नेता राजधानी में होंगे….5 साल की तारीफों के पुल बांधकर ही लौटेंगे। भाई साहब ने इतना कुछ किया, जो भी किया जनता जानती है, लेकिन उन तमाम बातों के लिए आखिर चहेते शोक क्यों न मनाएं। नए सेनापति के आगमन के उत्साह पर इस समय भाई साहब की विदाई का शोक हावी है। बाकी जो है सो तो है ही….

 

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