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रोग विशेषज्ञों ने की हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं की जाँच

खण्डवा में हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं की हो रही निःशुल्क सोनोग्राफी

रोग विशेषज्ञों ने की हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं की जाँच
खण्डवा में हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं की हो रही निःशुल्क सोनोग्राफी
खंडवा 09 अप्रैल, 2025 –
 जिला अस्पताल खंडवा एवं सामुदायिक व शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत बुधवार को स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं की जाँच कर उपचार किया गया। ब्लॉक में मातृत्व अभियान की मॉनिटरिंग के लिए जिले से टीम बनाई गई है, जिसमें विकासखण्ड छैगांवमाखन में सी.एम.एच.ओ. डॉ. ओ.पी. जुगतावत द्वारा गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य परीक्षण का निरीक्षण किया गया। उन्होंने ओपीडी कक्ष, दवाई वितरण, जनरल वार्ड, एनबीएसयू, प्रसूता वार्ड का निरीक्षण कर भर्ती मरीजों से चर्चा कर दी जा रही सेवाओं की जानकारी ली। साथ ही उपस्थित चिकित्सक को निर्देश दिये कि प्रतिदिन वार्ड का राउंड लगाकर उपचार करना सुनिश्चित करें।  प्रसव के दौरान कम वजन वाले बच्चों को एनबीएसयू में भर्ती करवायें। उन्होंने कहा कि हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को चिकित्सक द्वारा निःशुल्क सोनोग्राफी के लिए खण्डवा भेजकर निःशुल्क सोनोग्राफी की जा रही है। साथ ही उन्हंे आवश्यक दवाईयां भी दी जा रही, ताकि मातृ मृत्यु दर मे कमी लाई जा सके। इसी क्रम में विकासखण्ड खालवा व हरसूद में डी.एच.ओ. डॉ. आर.डी. बकोरिया, विकासखण्ड पंधाना में सी.बी.एम.ओ. डॉ. अनिल तंतवार, पीएचसी रोशनी में डी.एच.ओ. डॉ. रश्मि कौषल, डीपीएचएनओ, श्रीमति अनिता शुक्ला विकासखण्ड पुनासा व जावर में डीपीएम श्री शैलेन्द्र सिंह सोलंकी व डीसीएम श्री राहुल जायसवाल द्वारा निरीक्षण किया। डॉ. बकोरिया ने बताया कि इस अभियान के तहत प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता एवं कवरेज को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच, निदान एवं परामर्श सेवाओं की उपलब्धता की दृष्टि से प्रतिमाह की 9 एवं 25 तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान चलाया जा रहा है। डॉ. बाकोरिया ने हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं की पहचान जैसे एनीमिया, उच्च रक्तचाप, शुगर, पूर्व सिजेरियन प्रसव, जुड़वा बच्चे, गर्भ में उल्टा बच्चा, पूर्व में गर्भपात, पूर्व में जन्में शिशु में जन्मजात विकृति, कम वर्ष व 35 वर्ष से अधिक उम्र में गर्भधारण होना, अधिक बच्चे होना तथा टीबी, हृदय रोग, मलेरिया, एचआईवी, हैपेटाइटिस बी जैसे रोगों से ग्रसित गर्भवती महिलाएं हाईरिस्क की श्रेणी में आती हैं। गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग कर स्वास्थ्य के प्रति जागरुक रहने, पौष्टिक आहार लेने व संस्थागत प्रसव कराने की समझाइश दी जा रही है।

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