कटनीमध्यप्रदेश

*चैत्र नवरात्रि पर दस दिनो तक सजी रहेगी धार्मिक नगरी  विजयराघवगढ़ मे होंगे विशेष आयोजन  पूजा अर्चना, के साथ माता की अराधना 

*चैत्र नवरात्रि पर दस दिनो तक सजी रहेगी धार्मिक नगरी  विजयराघवगढ़ मे होंगे विशेष आयोजन  पूजा अर्चना, के साथ माता की अराधना 

कटनी से सौरभ श्रीवास्तव की रिपोर्ट

 

 

 

कटनी-  विजयराघवगढ़ सजेगा मा शारदा का दरवार, अथाह जन सैलाब के साथ धार्मिक नगरी मे मनाई जाएगी जैत्र नवरात्रि, विजयराघवगढ़ नगरी एक धार्मिक नगरी के रूप मे विख्यात है। अलग अलग जगहो पर एतिहासिक मंदिरों पर देवी देवताओं का पूज्य स्थान स्थापित है। धार्मिक नगरी होने की बजह से सम्पूर्ण वर्ष धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। विषेश रुप से मा शारदा का दरवार अलौकिक माना जाता है। विजयराघवगढ़ नदीपार मे स्थित माता का दरवार एक पहाड़ी पर स्थित है माता की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर बताया जाता है कि विजयराघवगढ़ राजा सरयू प्रसाद जिनकी विरासत मैहर तक फैली हुई थी राजा ने माता की स्थापना कराने के लिए दो प्रतिमाओं का निर्माण कराया। बडी बहन विजयराघवगढ़ राज घराने द्वारा पूजी जाती थी तथा मैहर मे विराजमान छोटी बहन मा शारदा मैहर राजघराने द्वारा पूजी जाने लगी किन्तु एक समय ऎसा भी आजा जब विजयराघवगढ़ नगरी बृम्ह देव के श्राप की बजह से पिछड गयी तथा मा शारदा बिलुपत हो गयी लम्बे समय के बाद जब बृम्ह देव का श्राप समाप्त हुआ तो कहा जाता है की माता ने मैहर पंडा को दूसरे दिन प्राण प्रतिष्ठा करने का आदेश दिया और माता रानी जिस मंदिर मे बिलुपत हुई उसी मंदिर से स्वयम प्रकट हो गयी। मैहर के पंडा ने बडी बहन माता रानी माँ शारदा की प्राण प्रतिष्ठा पूरे रिति रिवाज से कराई। बृम्ह देव के श्राप की बजह से विजयराघवगढ़ मा शारदा मंदिर का प्रचार-प्रसार देर से हुआ और छोटी बहन मैहर की माता शारदा विख्यात हो गयी। मान्यता यह है की मा शारदा के दर्शन का फल तभी प्राप्त होता है जब विजयराघवगढ़ मे विराजमान बडी मा शारदा के दर्शन के पश्चात छोटी बहन मैहर की शारदा माता के दर्शन प्राप्त करे। भक्तो का ताता मंदिर मे रोजाना देखा जाता है किन्तु प्रमुख रूप से वर्ष मे दो बार नौ दुर्गा सप्ताह तथा नव वर्ष के प्रथम दिन भारी जन सैलाब उमडता है। माता के प्रति भक्तो का अटूट विश्वास इस जन सैलाब को देख कर प्रदर्शित होता है। माता के श्रीचरणों मे समर्पित यह मंदिर भक्ति और विश्वास का केंद्र विन्दु माना जाता है। मा के दरवार से किसी भक्त की झोली खाली नही जाती। मंदिर प्रांगण मे विना किसी रुकावट के वर बधू विवाह कर माता का आशीर्वाद ग्रहण कर जिवन का शुभारंभ करते हैं वही भक्ति अपने बच्चों का मंडन संस्कार कंछेदन आदी भी मंदिर प्रांगण से करते हैं। मान्यता है की शुभ कार्यों का शुभारंभ माता के दरवार से करने से विना किसी रुकावट व बिना किसी संकट के फलीभूत होते हैं। माता रानी की पूजा अर्चना की जिम्मेदारी त्रिपाठी परिवार द्वारा निरंतर निभाई जाती है भक्तो के आने जाने मे कोई परेशानी न हो इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है। मंदिर व्यवस्थापकों द्वारा निशुल्क पेय जल व्यवस्था साफ-सफाई भक्तो के आवागमन ईत्यादी पर विषेश ध्यान दिया जाता है।नगर के युवाओं द्वारा माता रानी को चुनरी भेट की जाती है जगह जगह भंडारे भजन आदी धार्मिक आयोजन होते हैं। बैठकी से लेकर दस दिनो तक बंजारी माई संकट मोचन जगन्नाथ धाम पचमठा मे विराजमान श्रीगणेशजी हनुमानजी महाराज पंचमुखी हनुमान मंदिर विशणु मंदिर गौरहा मे शनिदेव रामदरवार हनुमानजी भोलेनाथ निलकंठेशवर भक्ति धाम विभिन्न देवो के दर्शन हेतू अच्छी खासी भक्तो की भिड उमडती है। दस दिनो तक सम्पूर्ण विजयराघवगढ़ छेत्र भक्तिमय वातावरण मे भावविभोर रहता है। धार्मिक आयोजनों को लेकर तरह तरह की तैयारिया की जाती है। भक्तिभाव के साथ चैत्र नवरात्र पर्व बडे ही हर्षोल्लास के साथ किया जाता है।

 

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