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श्रीमद् भागवत के छठवें दिन गोपी उद्धव प्रसंग एवं रुक्मणी विवाह की कथा सुन श्रोता हुए भाव विभोर

 मनुष्य अपने हृदय में ईश्वर को प्रेम से खोजे! संतोष शास्त्री

रामपुरा( जालौन) टीहर स्टैंड पर मोहल्ले वासियों द्वारा यादव की बगिया में कराई जा रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन कथावाचक आचार्य संतोष शास्त्री (सिंदौस)ने परीक्षित श्रीमती मानकुवर पत्नी बीरबल यादव के साथ उपस्थित आम जनमानस को उद्धव और गोपियों के प्रसंग के साथ रुक्मणी विवाह की कथा सुनाते हुए बताया भगवान कृष्ण की लीलाओं और गोपियों के प्रेम को उद्धव गोपी प्रसंग दर्शाता है एवं रुक्मणी विवाह भक्ति एवं भाई प्रेम को दर्शाता है।

 

कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण मथुरा में रहते थे, तो गोपियाँ उनके विरह में बहुत दुखी थीं। भगवान कृष्ण ने उद्धव को वृंदावन भेजा, जहां गोपियाँ रहती थीं। भगवान कृष्ण ने उद्धव को गोपियों को समझाने के लिए कहा, क्योंकि वे भगवान कृष्ण के विरह में बहुत दुखी थीं।

 

उद्धव ने वृंदावन जाकर गोपियों से मिले और उन्हें भगवान कृष्ण के बारे में समझाने की कोशिश की। लेकिन गोपियों ने उद्धव की बातों को नहीं माना और कहा कि वे भगवान कृष्ण के बिना नहीं रह सकतीं।

 

गोपियों ने उद्धव से कहा, “हे उद्धव, आप भगवान कृष्ण के मित्र हैं, लेकिन आप हमारे दुख को नहीं समझ सकते। हम भगवान कृष्ण के बिना नहीं रह सकते।”

 

उद्धव ने गोपियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं मानीं। अंत में, उद्धव ने गोपियों को भगवान कृष्ण के बारे में एक महत्वपूर्ण बात बताई। उन्होंने कहा, “भगवान कृष्ण ने मुझसे कहा है कि वे आपके हृदय में रहते हैं।”

 

गोपियों ने उद्धव की बातों को सुना और भगवान कृष्ण के बारे में सोचा। उन्होंने महसूस किया कि भगवान कृष्ण वास्तव में उनके हृदय में रहते हैं। इस तरह, गोपियों को भगवान कृष्ण के साथ जुड़ने का एक नया तरीका मिला।

 

इस कथा में उद्धव और गोपियों के बीच का संवाद भगवान कृष्ण की लीलाओं और गोपियों के प्रेम को दर्शाता है। यह कथा यह भी दर्शाती है कि भगवान कृष्ण के साथ जुड़ने के लिए हमें अपने हृदय में उन्हें ढूंढना होगा। उद्धव और गोपियों के प्रसंग की कथा श्रीमद् भागवत में वर्णित है। यह कथा भगवान कृष्ण की लीलाओं और गोपियों के प्रेम को दर्शाती है। उद्धव गोपी प्रसंग के बाद रुक्मणी विवाह की कथा का भी मृदुल और सरल तरीके से विस्तार पूर्वक सुनाया सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए श्रोताओं के द्वारा कहा गया की महाराज बहुत ही अच्छे तरीके से समझा कर कथा सुनाते हैं कथा श्रवण करने वाले श्रद्धालुओं में संत जनों के साथ नगर व मोहल्ले वासियों सहित अन्य ग्रामों से आए श्रद्धालु मौजूद रहे।

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