
मुजफ्फरनगर। छपार थाना क्षेत्र के गांव मेदपुर निवासी अनेक ग्रामीणों ने आज जिलाधिकारी को सौंपे प्रार्थना पत्र में अवगत कराया है कि ग्राम मेदपुर के प्रधान ओमदत्त शर्मा ने केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में अपने ही परिवारजनों के जॉब कार्ड बनवा रखे हैं, जिनके आधार पर 2 सौ दिन की मजदूरी उनके बैंक खातों में जा रही है।ग्रामीणों ने कहा कि ग्राम प्रधान का पुत्र रोहित कौशिक, जो सरकारी स्कूल में शिक्षा मित्र के पद पर तैनात है, वह स्कूल में जाता ही नहीं, जबकि उसके स्थान पर एक लडकी बच्चों को शिक्षा देने के लिये स्कूल जाती है, जिसे वह 2 हजार रूपये महीना देता है। खुद प्रोपर्टी का कार्य करता है, जिसके उसने कार्ड भी छपवा रखे हैंजिलाधिकारी को दिये गये ज्ञापन में गांव मेदपुर निवासी गौरव शर्मा पुत्र सियाराम शर्मा, शिव शर्मा, अनिल कुमार, रूद्रप्रताप कौशिक, राकेश शर्मा व योगेश्वर पुत्र वैधनाथ शर्मा ने बताया कि ग्राम प्रधान ओमदत्त शर्मा के दो चक हैं, जिनमें पांच बीघा जमीन फालतू है। उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधान ने जिन अन्य ग्रामीणों के मनरेगा जॉब कार्ड बनवा रखे हैं, जिसके पैसे जॉबकार्ड धारकों के बैंक खाते में आते हैं, ग्राम प्रधान उनसे आधे पैसों की मांग करता है।गौरव शर्मा ने बताया कि ग्राम प्रधान का चार्ज उनके परिवारजनों पर भी रहा है, लेकिन उनके कार्यकाल में किसी प्रकार की कोई भी गडबडी नहीं की गई। निष्पक्ष तरीके से सभी कार्य कराये गये। जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में बताया गया कि गांव में 3,60,903 रूपये की लागत से लाईटें लगाना दर्शाया गया है, जिसकी जांच भी किया जाना आवश्यक है। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि गांव में दो वाटर कूलर ग्राम प्रधान द्वारा लगाये गये हैं, जिनमें एक वाटर कूलर का कनेक्शन पुराने सबमर्सिबल बोरिंग से कर दिया गया है, जबकि कागजों में नया बोरिंग कराना दर्शाकर सरकारी पैसे को खर्च करना दर्शा दिया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि इनमें से एक वाटर कूलर खराब स्थिति में पडा है।जिलाधिकारी को सौंपे प्रार्थना पत्र में ग्रामीणों ने बताया कि गांव की सडकें बहुत ही खराब स्थिति में हैं, जबकि कागजों में उनको बनाया हुआ दर्शाया गया है। इसके साथ ही गांव में किसी भी प्रकार का कोई विकास कार्य नहीं हुआ है, जबकि पूर्व में उनका गांव विकसित और आदर्श गांव कहलाता था, किन्तु मौजूदा समय में गांव की स्थिति अत्यंत दयनीय है। प्रार्थना पत्र में बताया गया कि गांव में पांच चैनर लगाये गये हैं, जिनका खर्च भी सवा दो लाख रूपये दर्शाया गया है, जिसकी जांच किया जाना भी जरूरी है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से पूरे मामले की निष्पक्षता के साथ जांच कराये जाने की मांग की है।