समीर वानखेड़े महाराष्ट्र:
वर्धा में लोकसभा निरीक्षक द्वारा भाजपा के जिला पदाधिकारियों की आवश्यक समीक्षा बैठक ली गई. वर्ध्या में बीजेपी की हार के कारणों पर चर्चा के लिए यह मंथन बैठक थी. लेकिन हार के कारणों की खोज करते हुए आर्वी विधायक दादाराव केचे ने बिना प्रचार किए घर बैठकर इस हार के लिए पदाधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है. बैठक में विधायकों और पदाधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपने से अंदरुनी विवाद सामने आ गया है.भाजाप की बैठक में बोलने के लिए खड़े हुए आर्वी विधायक दादाराव केचे को बोलने नहीं दिया गया. आख़िर हार की वजह क्या है? इस बैठक में इसकी वजह पर चर्चा हुई. बैठक में नागपुर विधायक और वर्धा लोकसभा निरीक्षक प्रवीण दटके शामिल हुए. हार के विभिन्न कारणों पर चर्चा करते हुए आर्वी विधायक दादाराव केचे द्वारा उठाये गये सवालों पर कोई सहमति नहीं बन पायी. इसलिए सूत्रों ने जानकारी दी है कि हार की खबर सुनाते वक्त अच्छी खासी लड़ाई हुई. झगड़ा बढ़ने पर इंस्पेक्टरों ने इसे नियंत्रित करने का प्रयास किया। हालांकि दटके ने कहा है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
वर्धा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अमरावती और वर्धा जिलों के छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में एनसीपी शरद पवार समूह के नेता पूर्व विधायक अमर काले और वर्तमान भाजपा सांसद रामदास ताड़स के बीच सीधी लड़ाई रही है। इस मुकाबले में मिले नतीजों के मुताबिक, महात्मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे का जिला कहे जाने वाले वर्ध्या में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार ने शानदार जीत हासिल की है.लेकिन, पिछले 10 साल में बीजेपी ने यहां अच्छा काम किया है. क्या दूसरी बार सांसद चुने गए रामदास तड़स तीसरी बार बीजेपी के टिकट पर हैट्रिक लगाएंगे? इस पर सबका ध्यान था. लेकिन, इस चुनाव में कांग्रेस, एनसीपी शरद पवार गुट और उबाथा गुट की शिवसेना ने हाथ मिला लिया और प्रचार का मोर्चा संभाल लिया. नतीजतन, पूर्व कांग्रेस विधायक अमर काले को एनसीपी के टिकट पर नामांकन मिला और उन्होंने अकेले दम पर जीत हासिल की।
2,558 1 minute read