ये डॉक्टर धनखड़ है, जिन्हें करीब सात दिन पहले गुजरात से गिरफ्तार किया था।
राजस्थान मेडिकल काउंसिल (आरएमसी) ने प्रदेश के 10 डॉक्टरों के खिलाफ एक्शन लिया है। इन सभी का रजिस्ट्रेशन सस्पेंड कर दिया गया है। इनमें कुछ डॉक्टर ऐसे भी हैं, जिन्होंने नेशनल मेडिकल काउंसिल की परीक्षा का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था।
वहीं महिला की संक्रमित किडनी की जगह सही किडनी निकालने के मामले में डॉ. संजय धनखड़ का रजिस्ट्रेशन हमेशा के लिए निरस्त कर दिया गया है।
दरअसल, बुधवार को राजस्थान मेडिकल काउंसिल की जनरल बॉडी की मीटिंग बुलाई गई थी। इस मीटिंग में अलग-अलग केस रखे गए थे। इसमें से 10 डॉक्टर के खिलाफ एक्शन लिया गया है।
25 केस रखे थे सामने, 10 पर एक्शन
आरएमसी के रजिस्ट्रार डॉ. राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि बैठक हेल्थ डायरेक्टर डॉ. रवि प्रकाश माथुर की अध्यक्षता में हुई। इसमें कुल 25 केस रखे गए। इनमें से 10 केस में डॉक्टर का आरएमसी ने रजिस्ट्रेशन सस्पेंड किया है। इन 10 डॉक्टर में से 8 डॉक्टर ऐसे हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन हमेशा के लिए निरस्त किया गया है, जबकि 2 डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन 6 महीने के लिए सस्पेंड किया गया है।
डॉ. संजय धनखड़ का रजिस्ट्रेशन हमेशा के लिए निरस्त
झुंझुनूं में महिला मरीज की संक्रमित किडनी की जगह सही किडनी निकालने के मामले में डॉ. संजय धनखड़ का रजिस्ट्रेशन हमेशा के लिए निरस्त किया गया है। केस सामने आने के बाद झुंझुनूं कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने चिकित्सा विभाग को पत्र लिखा था, जिसमें आरएमसी से डॉ. धनखड़ का रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की सिफारिश की थी। वहीं धनखड़ हॉस्पिटल को सीज करने के साथ ही अस्पताल के रजिस्ट्रेशन को भी रद्द कर दिया गया था।
जांच में सामने आई थी गंभीर लापरवाही
किडनी कांड की जांच के लिए कलेक्टर ने 5 डॉक्टरों की कमेटी बनाई थी। कमेटी ने जांच में डॉ. संजय धनखड़ को दोषी माना है। जांच में सामने आया कि डॉ. संजय धनखड़ जनरल सर्जन है। किडनी का ऑपरेशन करते वक्त वहां नेफ्रोलॉजिस्ट या यूरोलॉजिस्ट भी मौजूद होना चाहिए था।
इसके साथ ही डॉक्टर को किडनी निकालने के बाद उसकी बायोप्सी करवानी चाहिए थी, लेकिन नहीं करवाई गई। किडनी निकालने के बाद उसे ट्रे में रख दिया गया था, जिससे वह संक्रमित हो गई, जो बड़ी लापरवाही है। कमेटी ने माना है कि डॉ. धनखड ने संक्रमित किडनी के स्थान पर सही किडनी निकाल दी।
फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए करवाया रजिस्ट्रेशन
आरएमसी के रजिस्ट्रार डॉ. राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि विदेश से एमबीबीएस करके आए 7 डॉक्टरों ने एनएमसी की ओर से ली जाने वाली परीक्षा को पास नहीं किया था। इनकी शिकायत मिली थी और जब जांच की गई तो पता चला कि नेशनल मेडिकल काउंसिल की ओर से हुई परीक्षा में ये पास ही नहीं हुए। रजिस्ट्रेशन के लिए इन लोगों ने फर्जी सर्टिफिकेट बनवा लिया था, जिसे निरस्त कर दिया गया है।
इसमें डॉ. गणपत सिंह चौधरी, डॉ. मोहम्मद साजिद, डॉ. मोहम्मद अफजल, डॉ. कृष्णा सोनी, डॉ. भूम्मा रेड्डी हरिकृष्णा, डॉ. जयदीप सिंह और डॉ. बलजीत कौर का नाम है। ये सभी अलग-अलग जगह क्लिनिक चला रहे थे।
इन डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन 6 महीने के लिए सस्पेंड
नागौर के लाडनूं एरिया में कुछ समय पहले पीसीपीएनडीटी केस में पकड़े गए डॉ. अजय अग्रवाल और डॉ. सुमन अग्रवाल का लाइसेंस भी 6 महीने के लिए सस्पेंड किया है। इन डॉक्टरों को विजिलेंस टीम ने भ्रूण के लिंग का निर्धारण करने के मामले में पकड़ा था।
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राजस्थान में फर्जी ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बाद अब एक और मामला सामने आया है। डॉक्टर ने महिला मरीज की संक्रमित किडनी की जगह सही किडनी निकाल दी। मरीज का ऑपरेशन झुंझुनूं के धनखड़ हॉस्पिटल में हुआ है।
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महिला मरीज की संक्रमित की जगह अच्छी किडनी निकालने वाले डॉक्टर डॉ. संजय धनखड़ को पुलिस ने गुजरात के राजकोट से गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस पिछले आठ दिनों से फरार डॉ. धनखड़ की तलाश कर रही थी।