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मेरठ बंद: हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर ‘जन आंदोलन’, 17 दिसंबर को थमेगी पश्चिमी यूपी की रफ्तार

मेरठ बार एसोसिएशन के नेतृत्व में इस बार इस आंदोलन को 'जन आंदोलन' का रूप दिया जा रहा है, जिसे 1000 से ज्यादा संगठनों का समर्थन प्राप्त है।

मेरठ बंद: हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर ‘जन आंदोलन’, 17 दिसंबर को थमेगी पश्चिमी यूपी की रफ्तार

मेरठ | पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की 50 साल पुरानी मांग अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। बुधवार, 17 दिसंबर को मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में ‘बंद’ का आह्वान किया गया है। मेरठ बार एसोसिएशन के नेतृत्व में इस बार इस आंदोलन को ‘जन आंदोलन’ का रूप दिया जा रहा है, जिसे 1000 से ज्यादा संगठनों का समर्थन प्राप्त है।

क्यों हो रहा

है विरोध?

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासियों को न्याय के लिए लगभग 700 किलोमीटर दूर इलाहाबाद (प्रयागराज) जाना पड़ता है। वकीलों और स्थानीय नागरिकों का तर्क है कि मेरठ से पाकिस्तान के लाहौर स्थित हाईकोर्ट की दूरी, इलाहाबाद हाईकोर्ट की तुलना में कम है। इस दूरी के कारण जनता को भारी आर्थिक, मानसिक और शारीरिक शोषण झेलना पड़ता है।

क्या खुला रहेगा और क्या बंद? आंदोलनकारियों ने स्पष्ट किया है कि ‘मेडिकल इमरजेंसी’ को छोड़कर बाकी सब कुछ बंद रहेगा।

बंद रहेंगे: बाजार, स्कूल-कॉलेज, पेट्रोल पंप, गैस एजेंसियां, डॉक्टर क्लीनिक (ओपीडी), ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन, ई-रिक्शा और मोटर डीलर्स एसोसिएशन।

केवल अस्पताल और मेडिकल इमरजेंसी सेवाओं को बंद से बाहर रखा गया है।सड़कों पर उतरेंगे अधिवक्ता (वकील)मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा और महामंत्री राजेंद्र सिंह राणा के अनुसार:

बंद को सफल बनाने के लिए 35 पॉइंट तय किए गए हैं जहाँ अधिवक्ताओं की टीमें तैनात रहेंगी।20 मोबाइल वैन पूरे जिले में घूम-घूम कर जनता से सहयोग की अपील करेंगी।

संयुक्त व्यापार संघ और अन्य व्यापारिक संगठनों ने भी इस बंद को अपना पूर्ण समर्थन दिया है।

 

सरकार पर दबाव बनाने की तैयारी नेताओं का कहना है कि सरकारें बदलती रहीं लेकिन पश्चिमी यूपी को उसका हक नहीं मिला। इस बार का आंदोलन इतना व्यापक होगा कि इसकी गूंज दिल्ली तक पहुंचेगी। अधिवक्ताओं का कहना है कि यह केवल वकीलों की मांग नहीं, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 10 करोड़ जनता के हक की लड़ाई है।

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