
हस्तिनापुर में ओवरलोड वाहनों का कहर: प्रशासन की चुप्पी से ग्रामीणों में आक्रोश
हस्तिनापुर, मेरठ
ऐतिहासिक नगरी हस्तिनापुर और मेरठ को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग पर ओवरलोड वाहनों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। बालू, रेत और अन्य निर्माण सामग्री से लदे भारी ट्रक रोजाना यातायात नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं, जिससे न केवल सड़कें जर्जर हो रही हैं, बल्कि राहगीरों की जान पर भी हर वक्त खतरा मंडराता रहता है।
सड़कों की हालत खस्ता, बढ़ रहे हादसे
स्थानीय निवासियों का कहना है कि ये ट्रक क्षमता से दोगुना भार लेकर दिन-रात सड़कों पर दौड़ते हैं। ओवरलोडिंग के कारण वाहनों के ब्रेक फेल होने की घटनाएं बढ़ गई हैं। भारी दबाव के चलते सड़कों पर गहरे गड्ढे हो गए हैं, जिससे पैदल यात्रियों और दुपहिया वाहन चालकों के लिए चलना दूभर हो गया है।
- रामकुमार (स्थानीय निवासी): “ये ट्रक बेखौफ होकर सड़कों पर दौड़ते हैं। विभाग की लापरवाही किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है।”
- विजय शर्मा (अध्यक्ष, व्यापारी संघ): “ओवरलोड वाहनों की वजह से बाजार क्षेत्र में घंटों जाम लगा रहता है, जिससे व्यापार और आम जनता दोनों प्रभावित हो रहे हैं।”
एआरटीओ का आश्वासन: होगी सख्त कार्रवाई
इस गंभीर मुद्दे पर एआरटीओ राजेश कर्दम ने कहा है कि विभाग जल्द ही एक बड़ा चेकिंग अभियान चलाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि:
- नियम तोड़ने वाले वाहनों का पंजीकरण (Registration) रद्द किया जाएगा।
- ओवरलोड वाहनों को पूरी तरह प्रतिबंधित करने के लिए टीमें सक्रिय कर दी गई हैं।
- चालकों के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।
जनता का भरोसा डगमगाया
भले ही प्रशासन कार्रवाई की बात कर रहा हो, लेकिन स्थानीय लोगों में गहरा असंतोष है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले महीने भी इसी तरह के दावे किए गए थे, लेकिन जमीन पर कोई ठोस बदलाव नजर नहीं आया। विशेषज्ञों के अनुसार, ओवरलोडिंग न केवल बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुँचाती है, बल्कि पर्यावरण और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा जोखिम है।
मांग: क्षेत्र के लोगों ने परिवहन विभाग से अपील की है कि वे कागजी वादों के बजाय धरातल पर सख्त कार्रवाई करें, ताकि हस्तिनापुर की सड़कों को सुरक्षित बनाया जा सके।










