
विनय हमारे चरित्र का मूलभूत होता है मूल गुण होता है विनयवान पुरुष ही धर्म का अधिकारी होता है, श्री विश्रुत सागर,
खंडवा ।। राजा से विहीन राज्य,स्वामी से विहीन ग्राम,गुरु भक्ति से विहीन शिष्य अवनति को प्राप्त होते हैं ! बिना भक्ति किया गया कार्य ऊसर भूमि पर बीजारोपण का निरर्थक प्रयास मात्र है, सम्मान, सत्कार प्रेम के अभाव में दान उत्तम फलदायक नहीं हो सकता,मान के साथ किया गया दान सार्थक फल नही देता। यह उदगार नवकार नगर जैन मंदिर चल रही प्रवचन माला के दौरान उपाध्यक्ष श्री विश्रुत सागर जी महाराज महाराज ने व्यक्त किये। उपाध्यक्ष श्री ने कहा कि दया,करुणा,वात्सल्य, भक्ति और विश्वास के साथ किया गया तुच्छ कार्य भी सर्वश्रेष्ठ फल देता है।जब कार्य का कारण ,भाव विपरीत होंगे तो कार्य भी विपरीत परिणाम वाले होंगे। हमारे अशुभ भावों के कारण ही दुख आते है। कुयें में डाली गयी बाल्टी जितनी झुकती है उतनी ज्यादा भरती है। विनय हमारे चरित्र का मूल गुण होता है। विनयवान पुरूष ही धर्म का अधिकारी होता है। कषाय मनुष्य की दुर्गति का प्रमुख कारण है। जब तक अंतर्मन में भरी कषाय खाली नहीं होगी तब तक मनमें उत्तम विचार अपनी जगह नही बना सकते। समाज के सचिव सुनील जैन ने में बताया कि प्रमुख जैन ग्रंथ रयणसार की गाथाओं की विवेचना के रूप में चल रही प्रवचन माला में आज पूज्य उपाध्याय श्री विश्रुतसागरजी महाराज ने विनय, भक्ति एवं गुरु की आवश्यकता उपस्थित श्रावकों के समक्ष स्पष्ट की। प्रतिदिन प्रात: नवकार नगर जैन मंदिर में प्रवचनों का लाभ बडी संख्या में श्रद्धालु ले रहे हैं मुनि सेवा समिति के प्रचार मंत्री सुनील जैन प्रेमांशु चौधरी ने बताया कि शनिवार को मुनि संघ की आहारचर्या का सौभाग्य श्रीमती अलका नरेंद्र रावका एवं श्रीमती रश्मि कमलेश जैन परिवार के सहयोग से संपन्न हुई। आयोजित प्रवचन माला में विजय सेठी, पंकज छाबड़ा, अविनाश जैन,मनीष सेठी,चिराग पाटनी,ब्र.अर्पित भैया,पंकज सेठी ,अनिल बडजात्या सहयोगी बने। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रवचन माला का लाभ प्राप्त किया।