
मेरठ के कबाड़ी बाजार में कार्रवाई के बाद सन्नाटा पसरा है। कोठे की तरफ जाने वाला हर रास्ता (जीना) बंद है और दरवाजे पर ताला जड़ा है। पुलिस की मानें तो यहां केवल चार कोठों पर ही जिस्मफरोशी हो रही थी। लेकिन बाजार की खामोशी कुछ और ही कहती है।त्रिलोक न्यूज़ की टीम सवालों के जवाब ढूंढने का प्रयास किया लेकिन एक दहशत ही हाथ
एक नजर 2019 की कार्रवाई पर
वर्ष 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कबाड़ी बाजार के 57 कोठे बंद करा दिये। करीब 350 से ज्यादा सेक्स वर्कर को यहां से दिल्ली शिफ्ट करना पड़ा। यह कार्रवाई एक शख्स सुनील चौधरी की जनहित याचिका पर की गई थी। हाईकोर्ट का आदेश इतना सख्त रहा कि डीएम, एसएसपी और सीएमओ ने कार्रवाई करने में देरी नहीं लगाई।गी।
पुलिस प्रशासन की इस कार्रवाई की जद में कोठे के साथ ही एक व्यापारी का प्रतिष्ठान भी आ गया, जिसको कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। कोर्ट ने व्यापारी का प्रतिष्ठान खोलने के आदेश जारी कर दिए। तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट ने व्यापारी के भवन पर लगी सील खोलने के आदेश जारी कर दिए। इसका सहारा लेकर अन्य लोगों ने भी कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
शर्त के आधार पर मिली अनुमति
वर्ष 2023 में हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया। कबाड़ी बाजार के 57 में से 15 भवनों की सील खोलने के आदेश जारी हो गए। भवन स्वामियों ने शपथ पत्र देकर भरोसा दिलाया कि यहां गलत काम नहीं होगा। इसके बाद तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट ने 15 भवनों की सील खुलवा दी। भवन स्वामियों ने भरोसा दिलाया कि यहां कारोबार ही होगा। कुछ समय सब ठीक चला लेकिन फिर अचानक हालात बदलते चले गए।
व्यापारियों ने की पुलिस से शिकायत
प्रतिष्ठान की सील खुलने के कुछ दिन बाद तक सब ठीक रहा लेकिन एक दिन अचानक गतिविधियों में बदलाव देखा गया। इन कोठों पर महिलाओं व युवतियों का आना जाना होने लगा। पहले जैसी स्थिति दिखाई देने लगी। इसकी शिकायत व्यापार संघ ने पुलिस से की लेकिन पुलिस ने किसी भी तरह की गंभीरता नहीं दिखाई और चोरी छिपे अनैतिक कारोबार शुरु हो गया।
व्यापारियों में दिखी अजीब सी दहशत
गुरुवार शाम हुई कार्रवाई के बाद व्यापारी राहत महसूस कर रहे हैं। कुछ व्यापारियों ने बताया कि कोठों से जुड़ी मनमानी की शिकायत उन्होंने पुलिस से की थी लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ। कहने को 15 कोठों की सील खोली गई थी लेकिन इनकी संख्या कहीं अधिक है। छापे के बाद अधिकांश कोठे बंद हो चुके हैं जो गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहे हैं। चौकाने वाली बात यह है कि व्यापारी सीधे विरोध का साहस ही नहीं जुटा पा रहा है। उनको डर है कि कहीं किसी से दुश्मनी ना हो जाए।
यह कहना है क्षेत्र के व्यापारियों का
व्यापारी आर मोहन गुप्ता का कहना है कि कार्रवाई पहले होनी चाहिए थी। जब भवन स्वामियों ने शपथ पत्र दे दिया कि वह यहां अनैतिक काम नहीं होने देंगे तो फिर वह कैसे शुरु हुआ। व्यापारियों ने एसएचओ से मिलकर विरोध दर्ज कराया लेकिन पुलिस ने कार्रवाई नहीं की।
क्षेत्रीय व्यापार संघ के महामंत्री पवन कुमार ने बताया कि पुलिस ने जब कार्रवाई की तो वह घर जाने की तैयारी कर रहे थे। पुलिस कोठे पर पहुंची और युवतियों को लेकर नीचे आ गई। यह अच्छे संकेत नहीं हैं। बड़ी मुश्किल से बाजार बचा। अब दोबारा उसी तरह की शिकायतों का मिलना चिंता बढ़ाने वाला है।













