
त्रिलोक न्यूज़ मध्य प्रदेश सहायक प्रमुख प्रवीण कुमार दुबे 8839125553
राजधानी के एम्स अस्पताल में दिल के मरीजों के लिए अब नई उम्मीद जगने वाली है। अस्पताल प्रबंधन 22 करोड़ की लागत से एक मॉडर्न कार्डियक सेटअप तैयार कर रहा है, जिसमें छह हाई-टेक मशीनें और एक नई कैथ लैब लगाई जाएगी।
अब तक यहां मरीजों को इको और कैथ लैब प्रोसीजर के लिए ढाई से तीन महीने तक का लंबा इंतजार करना पड़ता था। रोजाना 250 से 300 एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और पेस-मेकर जैसी प्रक्रियाएं होने से वेटिंग लिस्ट लगातार बढ़ती जा रही थी। लेकिन इस नए सेटअप के शुरू होने के बाद मरीजों को न केवल तेजी से जांच और इलाज मिल सकेगा, बल्कि इमरजेंसी हार्ट अटैक के मामलों में भी तुरंत उपचार संभव होगा।
एम्स भोपाल में पहले से दो कैथ लैब मौजूद हैं, लेकिन बढ़ते मरीजों का दबाव इन्हें अपर्याप्त बना रहा था। अक्सर एम्बुलेंस से आने वाले हार्ट अटैक के मरीजों को इसलिए इंतजार करना पड़ता था क्योंकि कैथ लैब में पहले से कोई केस चल रहा होता था। इससे उनकी जान पर खतरा मंडराता था। नए सेटअप से यह समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी।
ये लगेंगी 6 मॉडर्न मशीनें
- बाइप्लेन कार्डियक कैथेटराइजेशन लैब यह नई कैथ लैब हार्ट ब्लॉकेज, वाल्व प्रॉब्लम और जन्मजात हृदय दोष के इलाज में बेहद कारगर होगी। बाइप्लेन तकनीक से डॉक्टर को एक साथ दो एंगल से इमेज मिलती है, जिससे जटिल एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग ज्यादा सटीक और सुरक्षित हो पाएगी। इसके साथ दिल के छेद और वाल्व बदलने की सर्जरी भी ज्यादा बेहतर तरीके से हो सकेंगी।
- इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड सिस्टम यह हाई-डेफिनिशन तकनीक धमनियों के अंदरूनी हिस्से की रियल-टाइम तस्वीर देती है। इससे ब्लॉकेज की गंभीरता का सही अंदाजा लगाया जा सकता है और तय किया जा सकता है कि मरीज को स्टेंटिंग की आवश्यकता है या नहीं।
- ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी सिस्टम यह तकनीक ब्लॉकेज का 3D व्यू देती है और खून के प्रवाह (FFR, RFR) को नापती है। इससे डॉक्टर यह निर्णय लेने में सक्षम होंगे कि दवा से फायदा होगा या सर्जरी करनी पड़ेगी।
- ट्रांसईसोफेगल इकोकार्डियोग्राफी मशीन यह मशीन वयस्कों, बच्चों और नवजात शिशुओं के हार्ट की 2D, 3D और 4D तस्वीर देती है। खासकर हार्ट वाल्व और जन्मजात हृदय दोष की सर्जरी के लिए यह अनिवार्य है। अभी तक इस टेस्ट के लिए मरीजों को तीन माह तक इंतजार करना पड़ता था।
- एडवांस्ड ट्रेडमिल/एक्सरसाइज टेस्टिंग विद सीपीईटी यह मशीन हार्ट और फेफड़ों की क्षमता की जांच करती है। यह सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी जांचने में भी अहम भूमिका निभाती है। फिलहाल इस टेस्ट के लिए चार माह तक की वेटिंग रहती है।
- होल्टर मशीन यह मशीन मरीज की धड़कनों को लगातार 24-48 घंटे तक रिकॉर्ड करती है। इससे हार्ट रिद्म डिसऑर्डर, अनियमित धड़कन और ब्लैकआउट जैसी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है। वर्तमान में इस जांच के लिए भी ढाई माह तक का इंतजार करना पड़ता है।
वर्तमान की कैथलैब से बेहतर नई बाइप्लेन कैथलैब वर्तमान में मौजूद कैथ लैब- इसमें सिर्फ एक ही एक्स-रे एंगल से तस्वीर मिलती है। डॉक्टर को धमनियों या हार्ट की तस्वीर देखने के लिए बार-बार पोजिशन बदलनी पड़ती है। जटिल ब्लॉकेज, बिफरकेशन (दो शाखाओं वाली धमनियों), या बच्चों के जन्मजात हार्ट दोष की सर्जरी में मुश्किल आती है।
बाइप्लेन कैथ लैब- इसमें दो एक्स-रे एंगल (90° पर) से एक साथ तस्वीरें मिलती हैं। डॉक्टर बिना बार-बार पोजिशन बदले एक ही समय पर हार्ट और धमनियों का ड्यूल व्यू देख सकता है। इससे जटिल एंजियोप्लास्टी, स्टेंटिंग, वाल्व रिपेयर, बच्चों की हार्ट सर्जरी और न्यूरो-इंटरवेंशन (ब्रेन स्ट्रोक जैसी स्थिति) भी अधिक सटीक और सुरक्षित हो जाती है।
सरकारी सेंटर की सबसे एडवांस कैथलैब एम्स भोपाल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भूषण शाह ने कहा कि नई बाइप्लेन कैथलैब प्रदेश के सरकारी सेंटर की सबसे एडवांस कैथलैब होगी। इसके जरिए दो एंगल से हार्ट और आसपास की आर्टरीज देखी जा सकेंगी। जिससे स्टंट सही जगह फिट हुआ है या नहीं, इसकी सटीक जानकारी प्रोसीजर करते हुए ही पता चलेगी। जिसके परिणाम बेहतर आएंगे। इसके अलावा नई मशीनें आने से ज्यादा मरीजों को एम्स में इलाज मिल सकेगा। यहीं अभी जो लंबी वेटिंग है, उससे राहत मिलेगी।