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मालपुरा में पत्रकारों का अनूठा मौन प्रदर्शन: काली पट्टी और बंद जुबानों से उठाई पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग

मालपुरा में पत्रकारों का अनूठा मौन प्रदर्शन: काली पट्टी और बंद जुबानों से उठाई पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग

मालपुरा (टोंक)। डिग्गी कल्याणजी के प्रसिद्ध लक्खी मेले में पत्रकारों से हुए दुर्व्यवहार के विरोध में बुधवार को मालपुरा में पत्रकारों ने एक अनोखा, शांतिपूर्ण मगर असरदार विरोध प्रदर्शन किया। कस्बे के व्यास सर्किल पर पत्रकारों ने मुंह पर काली टेप और बाजू पर काली पट्टी बांधकर मौन मानव श्रृंखला बनाई और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हो रहे हमलों के खिलाफ एकजुटता दिखाई।
इस प्रतीकात्मक प्रदर्शन में पत्रकारों ने बिना कुछ बोले, केवल अपनी खामोशी के माध्यम से यह संदेश दिया कि अगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिश की जाएगी तो पत्रकारों की चुप्पी भी आंदोलन बन जाएगी।
प्रदर्शन के पश्चात सभी पत्रकार अतिरिक्त जिला कलेक्टर कार्यालय पहुँचे, जहाँ उन्होंने अतिरिक्त जिला कलेक्टर विनोद कुमार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में डिग्गी मेले में पत्रकारों के साथ हुए अपमानजनक व्यवहार का विस्तार से उल्लेख करते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई।
ज्ञापन में बताया गया कि एक वरिष्ठ पत्रकार को कंट्रोल रूम में रिपोर्टिंग के दौरान थोड़ी देर बैठने पर कार्यवाहक ईओ हंसराज चौधरी द्वारा अपमानित किया गया। वहीं, नगर पालिका की ओर से जारी पार्किंग ठेके में ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा बरती जा रही अनियमितता को लेकर सवाल पूछने पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट अमित चौधरी ने एक पत्रकार को खुलेआम धमकाते हुए कहा — “अकेले में मिलना, सब समझा दूंगा।”
पत्रकारों ने इन घटनाओं को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, तथा आईपीसी की धारा 503, 504 और 506 के तहत दंडनीय अपराध बताया। साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की तर्ज पर राजस्थान में भी पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू करने की मांग की, जिसमें हमलावरों पर गैर-जमानती धाराएं लगाई जाती हैं।

पत्रकारों ने चेतावनी दी कि यदि दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह विरोध अब प्रदेशव्यापी आंदोलन का रूप लेगा।
यह विरोध प्रदर्शन भले ही मौन था, लेकिन इसका संदेश बेहद स्पष्ट और गूंजता हुआ था — पत्रकार अब चुप नहीं रहेंगे।
यह सिर्फ एक शहर की नहीं, बल्कि पूरे पत्रकार समाज की लड़ाई है — सच, सवाल और सम्मान की लड़ाई।

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