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नालों से दूषित हो रहा तमसा और सरयू का पानी

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नालों से दूषित हो रहा तमसा और सरयू का पानी

अंबेडकरनगर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त निर्देश के बाद भी स्थानीय निकाय नाले व नालियों का गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट किए तमसा और सरयू नदी में सीधे छोड़ रहे हैं। इससे नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है। पशु पक्षियों के साथ आम लोगों को भी इससे कई तरह की मुश्किल हो रही है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सख्ती के बाद अब पर्यावरण संरक्षण को लेकर सरकार भी सख्त हुई है। इसके बाद भी जनपद के स्थानीय निकाय कोई पुख्ता इंतजाम नहीं कर सके हैं। नगर पालिका अकबरपुर में 25 वार्ड की डेढ़ लाख आबादी के जलनिकासी के लिए 150 से अधिक नालियां हैं। इन नालियों का पानी 30 छोटे नालों से होकर छह बड़े नालों के माध्यम से सीधे तमसा नदी में गिराया जा रहा है। इसके अलावा नगर पालिका टांडा के 12 नाले और नगर पालिका जलालपुर के सात और नगर पंचायत इल्तिफातगंज में एक नाले समेत कुल 22 बड़े नालों का गंदा पाने सीधे तमसा व सरयू नदी में गिराया जा रहा है।
इससे नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। खास बात यह कि जिला गठन के तीन दशक बाद भी प्रदूषण नियंत्रण विभाग ही स्थापित नहीं हो सका है। यहां से 60 किलोमीटर दूर अयोध्या जनपद में स्थापित प्रदूषण नियंत्रण विभाग हो निगरानी कर रहा है। वहां के अधिकारी यहां झांकने तक नहीं आते। हालांकि इन नालों के ऊपर केमिकल के माध्यम से नालों का पानी शुद्ध कर नदी में प्रवाहित करने का दावा निकाय के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है।
नदी में बढ़ रहे प्रदूषण की वजह से जलीय जीवों का जीवन संकट में है। लोगों की आस्था भी आहत होती है। इसे अलावा दूषित पानी सिर्फ नदी के पानी को ही प्रदूषित नहीं कर रहा है, इससे भूजल भी प्रदूषित हो रहा है। केमिकल युक्त दूषित पानी से टाइफाइड, डायरिया जैसी जल जनित बीमारियां हो जाती हैं। हैवी मेटल (इंडस्ट्री से निकलने वाला दूषित पानी) से कैंसर, दिमाग का विकसित नहीं होना, किडनी फेल होना, फेफड़े सहित अन्य बीमारी हो जाती है।
सातों नगर निकायों में 80 हजार से अधिक मकान दर्ज हैं। ऐसे में इन घरों के सेप्टिक टैंक से निकलती हजारों किलोलीटर गाद (केएलडी) के निस्तारण के लिए अभी तक केवल अकबरपुर नगर पालिका के गौहन्ना में फीकल सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की जा सकी है। इसे चार करोड़ 33 लाख रुपये से बनाया गया है। इसके अलावा अन्य निकायोंं के पास यह व्यवस्था नहीं है। इसके चलते हर तीन वर्ष पर सेप्टिक टैंक को खाली कर धरती को जल प्रदूषित होने से बचने की मंशा भी साकार नहीं हो पा रही है।
पानी किया जा रहा साफ
नालों के गंदे पानी को जैविक उपचार विधि से साफ किया जा रहा है। नालों पर एसटीपी बनाने की योजना को अभी मंजूरी नहीं मिली है। –
बीना सिंह, नोडल अधिशासी अधिकारी, अकबरपुर, नगर पालिका।

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