संवाददाता अखिलेश विश्वकर्मा का रिपोर्ट गढ़वा
गढ़वा से..
गढ़वा शहर में तीन मार्च को मुख्यमंत्री के हाथों उदघाटन वाले बस स्टैंड के नाम बदलने और बनाये गये प्रवेश द्वार को लेकर शहर के लोगों में विरोध बढ़ता जा रहा है. दो दिन पूर्व शुक्रवार को शहर के आम लोगों की ओर से सामूहिक हस्ताक्षर से उपायुक्त को एक आवेदन दिया गया. इसमें कहा गया कि एक साजिश के तहत नगर परिषद ने बस स्टैंड का नाम और प्रतीक चिन्ह दोनों बदल दिया है. इसको लेकर शहर के लोगों में काफी आक्रोश है.
आवेदन में उपायुक्त से इसे संज्ञान में लेकर बस स्टैंड का नाम सुधारने और प्रवेश द्वार का भी स्वरूप बदलने की मांग की है. लोगों का कहना है कि वर्ष 1993 में गढ़वा का बस स्टैंड श्रीकृष्ण गोशाला की भूमि में कब्जा करके बनायी गयी है. जब इसका विरोध किया गया, तो तत्कालीन उपायुक्त एसके सत्पथी ने नागरिकों के साथ बैठक कर उनके सुझाव पर बस स्टैंड का नाम श्रीकृष्ण पालिका परिवहन पड़ाव रखा थातभी से यह स्टैंड श्रीकृष्ण पालिका परिवहन पड़ाव के रूप में जाना जाता था. लेकिन जब नगर परिषद द्वारा इस समय बस स्टैंड का जीर्णोद्धार कर इसका प्रवेश द्वार बनाया गया, तो उसपर इसका नाम श्रीकृष्ण पालिका परिवहन पड़ाव से बदलते हुये अंतर्राज्जीय बस स्टैंड कर दिया गया. साथ ही प्रवेश द्वार पर भगवान श्रीकृष्ण व गोमाता की तसवीर लगानी थी. लेकिन श्रीकृष्ण भगवान की तसवीर बनाने की बजाय प्रवेश द्वार का गुंबद एक खास धर्म के प्रतीक के रूप में बना दिया गयालोगों का कहना है कि नगर परिषद प्रशासन एक समुदाय विशेष को खुश करने के लिये ऐसा किया है. वे इसको बर्दाश्त नहीं करेंगे. साथ ही लोगों ने नगर परिषद के साथ बस पड़ाव के आय का 60 प्रतिशत गोशाला को देने के समझौता का पालन नहीं करने का भी आरोप लगाया है. लोगों ने उपायुक्त से इसपर कारवाई करते हुये अविलंब सुधार की मांग की है. आवेदन पर धर्मनाथ झा, संतोष सौंडिक, वेद प्रकाश केसरी, राजू कुमार, रूपेश केसरी, सुरेंद्र प्रसाद, अरविंद कुमार, उत्तम सिंह, धर्मेंद्र कुमार सिंह सहित काफी संख्या में लोगों के हस्ताक्षर हैं.