
*गड्ढों में सड़क या सड़क में गड्ढे? बदहाल रोड पर देखें मनीष गुप्ता के साथ ग्राउंड रिपोर्ट -शिवसेना*
*सड़क पर पानी के साथ गड्ढे दे रहे हादसों को दावत*
*जर्जर हो चुका खंडवा-डुल्हार 12 किमी, ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोग रोड भगवान भरोसे करते हैं यात्रा*
*ग्रामीण जर्जर सड़क से परेशान जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि इस में सुधार को लेकर उदासीन बने*
*जर्जर है गांव को शहर से जोड़ने वाली सड़क, 25 गांव के ग्रामीण हैं परेशान*
*जनता को इस पथ पर यात्रा करने के लिए 10 बार सोचना पड़ता है*
*पैचवर्क के नाम पर केवल खानापूर्ति पीडब्ल्यूडी विभाग की*
*सड़क खंडवा से लेकर डुल्हार तक पूरी तरह से उखड़ चुकी*
खंडवा-शहर और गांव की दूरी तब तक खत्म नहीं होती जब तक सड़क निर्माण का ठेका लेने वाले ईमानदारी से अपना काम नहीं करते. खानापूर्ति करने के नाम पर ये ठेकेदार सड़क का निर्माण करा तो देते हैं लेकिन इनकी बेईमानी कुछ वर्षों में ही जर्जर सड़क के रूप में उभर आती है. ऐसा ही हाल हुआ है
खंडवा से पंधाना मार्ग का जर्जर हो चुका खंडवा-डुल्हार 12 किमी, ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोग रोड भगवान भरोसे करते हैं यात्रा,गांव-गांव तक पक्की सड़क निर्माण कराकर ग्रामीणों को शहर से जोड़ने की योजना भले ही सरकार की प्राथमिकता में शामिल हो, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही नजर आती है.जिला मुख्यालय से पंधाना जोड़ने वाली सड़क सरकार के दावे को झुठला रही है.
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क के जर्जर होने के कारण आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर बरसात होने पर इस सड़क से होकर गुजरने में गिरने की संभावना बनी रहती है। दोपहिया वाहन चालकों को गिरकर चोटिल होना नियति बनी हुई है। इस सड़क में गड्ढों और गिट्टी के अलावा कुछ भी नजर नहीं आता है, जबकि इस मार्ग पर अधिकांश कृषि भूमि व खंडवा शहर का मार्ग जो पंधाना को जोड़ता है जर्जर हो चुका है
समाजसेवी शिवसेना प्रमुखगणेश भावसार ने कहा कि गांव से शहर को जोड़ने वाली इस सड़क में इतने गड्ढे हो गए हैं कि चलना भी मुश्किल हो गया है.अच्छी सड़क नहीं होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर काफी असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि भले ही सरकार यह दावा करती है कि गांव-गांव तक सड़क पहुंचाई जाएगी, लेकिन इस गांव में सरकार के दावे पूरी तरह फेल हैं.सड़क के प्रति ना तो सांसद या विधायक ध्यान दे रहे हैं और ना ही जिला प्रशासन की ओर से कोई पहल की जा रही है.
शहर आने से पहले ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. जरूरत इस बात की है कि ऐसी सड़कों पर सरकार पहले ध्यान दें और प्राथमिकता के साथ इसे दुरुस्त कराएं ताकि गांव और शहर की दूरियां सिमट सके. बरसात का बहाना बनाकर गड्ढों में मलबा और गिट्टी व डस्ट का मरहम तक नहीं भरा है। हालत यह है कि बरसात में कई जगह एक-एक फीट तक गहरे गड्ढे हो गए हैं। बरसात का पानी भरने के कारण गड्ढे नजर नहीं आते हैं। रात में वाहन चालक इन खतरनाक गड्ढों में फंसकर पलट जाते हैं। बरसात में पैचवर्क नहीं हो सकता है लेकिन गड्ढा में मलबा व गिट्टी व डस्ट का मिश्रण बनाकर भरा जा सकता है।