
रिपोर्टर – भव्य जैन
झाबुआ। नगर के बावन जिनालय में बुधवार को आयोजित भव्य धर्मसभा में साध्वी भगवत कल्पदृर्शिता जी ने श्रद्धालुओं को आत्मिक जागृति का संदेश देते हुए कहा कि — “हम प्रतिदिन मंदिर जाकर पूजा तो करते हैं, लेकिन यह चिंतन नहीं करते कि हमारे भीतर भी एक परमात्मा विराजमान हैं। कर्मों के आवरण के कारण हम उसे देख नहीं पाते।”
उन्होंने कहा कि मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जिसे परमात्मा का मंदिर बनाने की प्रेरणा प्राप्त होती है, जबकि अन्य प्राणियों का जीवन केवल आवास तक ही सीमित रहता है।
साध्वी जी ने बच्चों में संस्कारों की गहराई और प्रभाव को लेकर भी बात की और कहा कि – संस्कार कब काम आते हैं, यह हमारे कर्मों से प्रकट होता है। हमारे मस्तिष्क में विचारों का कलह है, जिससे मुक्ति के लिए ध्यान आवश्यक है।
मोक्ष की बात करते हुए उन्होंने कहा कि – हम इच्छा तो मोक्ष की करते हैं, लेकिन क्या वह हमारी दैनिक कार्यसूची का हिस्सा है? जब प्रभु मोक्ष की संपदा देने में सक्षम हैं, तो भौतिक वस्तुएं तो अपने आप ही प्राप्त हो सकती हैं। हमें अन्य स्थानों पर मांगने नहीं जाना चाहिए।
साध्वी अविचल दृष्टा जी ने भी श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि – जिन शासन में हमें प्रमाद से दूर रहने का संदेश दिया गया है। इच्छाकार सूत्र में साधु–साध्वी एवं श्रावक–श्राविकाएं जीवन से संबंधित संयम, तप और सुख–साता की प्रार्थना करते हैं। मुहपत्ती और पडिलेहण के माध्यम से हम कुदेव–कुगुरु को त्यागकर सुदेव–सुगुरु और सुधर्म को स्वीकार करते हैं।
उन्होंने कहा कि – सही क्रिया करने पर ही हम मोक्ष के अधिकारी बन सकते हैं। दर्शन, ज्ञान और चारित्र की आराधना ही हमें मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर करती है।
इस अवसर पर नगर के वरिष्ठ श्रावक–श्राविकाएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे और धर्मलाभ प्राप्त किया। धर्मसभा में श्रीसंघ अध्यक्ष संजय मेहता, वरिष्ठ श्रावक हुक्मीचंद छाजेड़, अशोक कटारिया, अनिल रुनवाल, सुनील राठौर, रिंकू रुनवाल, राजेश मेहता, भारत बाबेल, ऋषभ गोखरू, अभय दख, कमलेश कोठारी, डॉ. प्रदीप संघवी, नरेंद्र पगारिया, मुकेश रुनवाल सहित करीब 150 श्रद्धालु उपस्थित रहे।