
जिला पशु कल्याण समिति द्वारा सभी पशु चिकित्सा संस्थाओं में एंटी रेबीज वैक्सीन कराए जा रहे उपलब्ध
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खण्डवा//उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएँ, खंडवा डॉ. हेमंत शाह ने बताया कि रेबीज एक घातक वायरस है जो संक्रमित जानवर के काटने या चाटने से फैल सकता है लेकिन वैक्सीन से इसे रोका जा सकता है। रेबीज 150 से ज्यादा देशों और क्षेत्रों में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, मुख्य रूप से एशिया और अफ्रीका में। यह एक वायरल, जूनोटिक, उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारी है जो हर साल हजारों लोगों की मौत का कारण बनती है, जिसमें से 40 प्रतिशत 15 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं। कुत्तों के काटने और खरोंच से मनुष्यों में रेबीज के 99 प्रतिशत मामले होते हैं और कुत्तों के टीकाकरण और काटने की रोकथाम के माध्यम से इसे रोका जा सकता है।
डॉ.शाह ने बताया कि एक बार जब वायरस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को संक्रमित कर देता है और नैदानिक लक्षण प्रकट होते हैं, तो रेबीज 100 प्रतिशत मामलों में घातक होता है। एक व्यापक वन हेल्थ दृष्टिकोण के माध्यम से कुत्तों के कारण होने वाली रेबीज से होने वाली मानव मृत्यु को समाप्त करना है, जिसके तहत बड़े पैमाने पर कुत्तों के टीकाकरण को बढ़ावा दिया जाएगा।
उपसंचालक डॉ. शाह ने बताया कि रेबीज की रोकथाम के अन्तर्गत कुत्तों का टीकाकरण होना आवश्यक है। सामूहिक टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से पिल्लों सहित सभी कुत्तों का टीकाकरण करना, लोगों में रेबीज की रोकथाम के लिए सबसे अधिक लागत प्रभावी रणनीति है, क्योंकि यह संक्रमण को उसके स्रोत पर ही रोक देता है। खुलेआम घूमने वाले कुत्तों को मारना रेबीज पर नियंत्रण पाने में प्रभावी नहीं है।
उन्होंने बताया कि श्वान को बीमारी ना हो तथा श्वान या जंगली पशु द्वारा अन्य पशु को काटने पर रेबीज़ रोकने के लिए सभी पशुचिकित्सा संस्थाओं में जिला पशु कल्याण समिति द्वारा एंटी रेबीज वेक्सीन प्री एवं पोस्ट बाइट निर्धारित शुल्क पर लगाने हेतु उपलब्ध हैं। पशुपालक निकटतम पशुचिकित्सा संस्थाओं में इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं ।