फसल लगे खेत के नदी कटाव की जद में आने से किसान परेशान|
किशनगंज। पोठिया प्रखंड के कोल्था पंचायत के लोग प्रति वर्ष डोक नदी के कटाव का दंश्
किशनगंज संवाददाता (शब्बीर आलम)
किशनगंज। पोठिया प्रखंड के कोल्था पंचायत कटहलबाड़ी के लोग प्रति वर्ष डोक नदी के कटाव का दंश झेलने को मजबूर हैं। नदी कटाव की जद में इस बार कटहलबाड़ी गांव आ गया है। हालात यह है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रहे कटाव से एक ही गांव किसान के करीब 10 एकड़ धान का फसल लगा खेत नदी के गर्भ में समा चुका है। प्रकृति की इस मार से एक बार फिर से खेती किसानी से जुड़े कई परिवारों के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो चुका है।नदी कटाव की जद में आकर फसल लगे खेत को अपनी आंखों के सामने कटते देख कटहलबाड़ी गांव वार्ड 05 निवासी सिराजूस सालेकिन, मख़्दूम अशरफ, अब्दुस समद, अमीरुल हसन, अहमद रजा, व अन्य अपना दर्द बयां कर भावुक हो उठते हैं। वे लोग बताते हैं कि बारिश से पहले इन्हीं खेतों में मक्का का बेहतर उपज हुआ था। मानसून शुरू होते ही इस उम्मीद से धान की खेती आरंभ किया था कि फसल से साल भर बाल बच्चों के साथ पूरे परिवार का अच्छे से भरण पोषण हो जाएगा। शायद यह भगवान को मंजूर नहीं था, देखते ही देखते बीस से पच्चीस दिनों में किसान सिराजूस सालेकिन, मख़्दूम अशरफ, अब्दुस समद, मो• असलम, अहमद रजा,अमीरुल हसन, साहेब का करीब 40 एकड़ धान लगा खेत नदी में समा गया है। इसको लेकर कटहलबाड़ी के ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय सांसद एवं विधायक को लिखित शिकायत दिया है परन्तु आज तक किसानो को आश्वासन के शिवा कुछ नहीं मिला|
इस विभीषिका का दर्द झेलते है। चार दशकों में दर्जनों बार नदी छोड़ बदलने से जमींदार ओर उनके वारिसों ने गांव ओर खेतों की तरफ कटाव को देखते हुए पांच बार गांव को एक जगह से दूसरी जगह स्थान अपना घर (भिट्ठा) बदल चुका है। कटहलबाड़ी गांव से नया टोला कच्ची सड़क के बीच इसी जमींदार परिवार के करीब एक सौ से अधिक बीघा जमीन से होकर नदी में कट गया। प्रत्येक वर्ष डोक नदी का कटाव छोड़ बदलने से लाखों की फसल का नुकसान का मार झेल चुके हैं। हाल यह है कि जमींदार परिवार के कई युवा अपने परिवार के भरण पोषण की तलाश में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। गांव के लोगों ने तेज कटाव को लेकर जिला पदाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बम्बू पाइलिग की मांग कर रहें हैं ताकि कटाव को रोका जा सकें।