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बांधवगढ में बाघों की लगातार हो रही मौतों पर जागा वन विभाग, जांच के लिए गठित समिति में कटनी की मंजुला भी शामिल

कटनी,  ।कटनी जिले के बरही वन परिक्षेत्र से लगे बांधवगढ नेशनल पार्क में बाघों की मौत की लगातार बढ़ रही घटनाओं को लेकर अब वन्यप्रेमी पार्क प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहे। बाघों की सुरक्षा से जुड़े वन अधिकारी बाघों की इन मौतों में से अधिकांश को बाघों की आपसी लड़ाई का परिणाम बता कर मौतों से पल्ला झाड़ रहे पर वन्यप्रेमी शिकार की संभावनाओं पर भी गौर करने पर जोर दे रहे।

An adult male and his subadult cubs at a waterhole in Bandhavgarh National Park, Madhya Pradesh

वन विभाग के आला अधिकारी भी बाघों की मौत को लेकर चिंतित हैं इसीलिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक शुभरंजन सेन द्वारा 2021 से लेकर 2023 तक बांधवगढ नेशनल पार्क में हुई बाघों की मौत की जांच के निर्देश दिए हैं। जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति का गठन भी किया गया है। कटनी की वन्यजीव अभिरक्षक अधिवक्ता मंजुला श्रीवास्तव को भी जांच समिति में शामिल किया गया है।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश देश में सर्वाधिक बाघों वाला प्रदेश है इसीलिए मध्यप्रदेश को टाईगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है। प्रदेश को टाईगर स्टेट का दर्ज़ा दिलाने में प्रदेश के बांधवगढ नेशनल पार्क का अहम योगदान है। 2023 में जारी बाघों की गढ़ना के अनुसार यहां बाघों की संख्या 165 के आस – पास पाई गई थी। बाघों की मौत के बावज़ूद यहां बाघों का कुनबा लगातार बढ़ता भी रहा। पिछले 10 सालों में बाघों की संख्या दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गई है जो पार्क की क्षमता से ज्यादा है।

A royal Bengal tiger on a dirt road in the jungle in Chitwan National Park in Nepal.

2021 से लेकर 2023 तक बांधवगढ में लगभग 36 बाघों की मौत हुई है। पिछले दो तीन महीनों में 7 बाघों के शव अलग – अलग क्षेत्रो से बरामद हुए हैं। कोर एरिया के अलावा बफरजोन में भी बाघों के क्षत विक्षत शव मिले हैं। पिछले साल ताला कोर ज़ोन में शेष शैया बीट क्रमांक 317 में एक व्यस्क बाघ का शव मिला था। कुछ दिनों बाद पतौर रेंज के बकेली ग्राम के समीप झाड़ियों से एक बाघ का शव बरामद हुआ था।

सूत्रों के अनुसार पिछले एक साल में लगभग 14 बाघों की मौत के मामले सामने आए थे। मृत पाए गए कुछ बाघों में आपसी संघर्ष के निशान पाए गए थे। मौके पर मौजूद वन अधिकारियों ने बाघों की मौत के पीछे उनकी आपसी लड़ाई को कारण बताया था। दरअसल वयस्क होने के बाद बाघ अपना एक एरिया बना कर रहता है।

अपने एरिये में वह दूसरे वयस्क बाघ का दखल बर्दाश्त नहीं करता। किसी बाघ टैरेटरी में दूसरे बाघ का आमना सामना होते ही दोनों के बीच जानलेवा संघर्ष होता है। इस संघर्ष में किसी एक बाघ की मौत हो जाती है या बुरी तरह जख़्मी होने के बाद वह बाघ एरिया छोड़ कर चला जाता है। कई बार बाघिन को लेकर भी दो बाघों में संघर्ष होता है।

A heavily pregnant Bengal tigress drags her kill – a partially eaten Chital doe – through the jungles of Bandhavgarh National Park in Madhya Pradesh

शावकों को जन्म देने के बाद बाघिन अपने शावकों को लेकर दूर चली जाती है ताकि वयस्क बाघ उसके शावकों को नुकसान न पहुंचा सकें। कई बार बाघिन को इन शावकों की रक्षा के लिए बाघों से संघर्ष करना पड़ता है। एक वयस्क बाघ लगभग 10 वर्ग मील के क्षेत्र को अपनी टेरिटरी बनाता है। बांधवगढ में स्थान सीमित होने और बाघों की संख्या बढ़ जाने के कारण अब बाघों के आपसी संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं इसमें कोई संदेह नही पर सभी मौतों के पीछे आपसी संघर्ष कारण नहीं हो सकता।

इसके पीछे शिकार की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इन्ही सब बातों के खुलासे के लिए जांच समिति गठित की गई है। जांच समिति का अध्यक्ष स्टेट टाईगर स्ट्राइक फोर्स के प्रदेश प्रभारी रितेश सिरोठिया को बनाया गया है ये कई राज्यों में सक्रिय अंतराष्ट्रीय शिकारी गिरोहों का खुलासा कर चुके है। स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक एवं हेल्थ जबलपुर की सहायक प्राध्यापक डॉ काजल जाधव एवं कटनी की वन्यजीव अभिरक्षक मंजुला श्रीवास्तव भी जांच समिति में शामिल हैं।

विक्रान्त निगम

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