*नाली एवं आरसीसी निर्माण कार्य में हो रहा है भ्रष्टाचार*
अम्बेडकर नगर
नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा के द्वारा नाली एवं आरसीसी का निर्माण कराया जा रहा है। जो की डबल इंजन की सरकार में नगर पंचायत अध्यक्ष ओंमकार गुप्ता के द्वारा लगभग 25 से 30 लाख का विकास कार्य शुरू कराया गया । विकास शुरू हैं और मजे की बात तो यह है की विकास में दीमक लग चुके या फिर यह कहा जाए
वार्ड नंबर 6 बसखारी पश्चिम सभासद प्रदीप कुमार और ठेकेदार द्वारा नाली निर्माण एवं आरसीसी भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गया। नगर पंचायत ओंकार अध्यक्ष के द्वारा शपथ लेते समय उन्होंने कहा था ना खाऊंगा ना खाने दूंगा फिलहाल अभी 7 से 8 महीने बीते होंगे लेकिन जनता में चर्चा का विषय बना हुआ है सब खा जाऊंगा किसी को खाने नहीं दूंगा जिस तरीके घटिया निर्माण कराया जा रहा है। सरकार विकास को लेकर भले ही 35 से 36 लाखों रुपए योजनाओं के नाम पर खर्च कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत यही है की 35 से 36लाखों रुपए की राशि से किए जा रहे निर्माण कार्यों में जमकर बंदरबांट हो रहा है और निर्माण एंजेसियों द्वारा घटिया निर्माण किया जा रहा है.योजनाएं कागजों पर तो तैयार की जाती हैं, लेकिन जब धरातल पर उतरती है तो पूरी की पूरी पानी में बह जाती हैं। नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा कि जनता ने विश्वास करके तोड़ दिया और जिताया भी लेकिन जनता या कह रही है। कि हम लोगों के साथ नगर पंचायत अध्यक्ष छल कपट कर रहे हैं। जनता अब महसूस कर रही है कि हम लोगों ने क्या गलत जगह दे वोट दिया। गौरतलब है कि नगर पंचायत कार्यालय से कुछ चंद दूरियों पर यह निर्माण कराया जाए लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कुंभकरण के नींद सोए हुए हैं अभी तक कहां दृष्टि नहीं पढ़ रहे हैं । और नगर पंचायत अध्यक्ष के द्वारा धूप और अगरबत्ती करके नाली निर्माण एवं आरसीसी का निर्मल कार्य भी कराया गया और वहां सोशल मीडिया पर भी देखने को मिला। जिस तरीके कार अदाएं संस्था का ठेकेदार कार्य को करवा रहा है क्या कभी किसी जिम्मेदार अधिकारी उस निर्माण को देखने गया की नहीं गया तो कहीं न कही जिम्मेदार भी इस भर्ष्टाचार में सनलिप्त नजर आ रहा है अब देखना या होगा यह निर्माण ठीक है जो कराया जा रहा है ठेकेदार पर क्या कार्रवाई की जाती है या फिर खानापूर्ति करके छोड़ दिया जायेगा फिलहाल आज तक जितने कार्रवाई की सिर्फ कगजो में पूरा करके छोड़ दिया जाता है। बड़े मजे की बात यह भी है की जो जांच कराई जाती है । वही अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त रहता है । आखिर जांच कैसे सही हो सकती।