
क्षमा कर देना बड़ी बात नहीं है किंतु क्षमा मांग लेना बहुत बड़ी बात, ,,विश्रुत सागर जी,,
क्षमा वाणी महोत्सव पर समाज के वरिष्ठ जनों के साथ उपवास करने वाले तपस्वियों का हुआ सम्मान

खंडवा। जैन धर्म के महान पर्यूषण पर्व के समापन अवसर पर उत्तम क्षमा धर्म से शुरू हुआ यह पर्व क्षमा वाणी महोत्सव पर समाप्त हुआ। दस दिनों तक सभी सामाजिक बंधुओ ने देव दर्शन अभिषेक शांति धारा पूजन उपाध्याय श्री के प्रवचनों का लाभ प्राप्त किया इस अवसर पर कई युवा और बड़ों ने अपनी क्षमता के अनुसार 3 ,5, 7 और 10 उपपास की तपस्या की। समाज के सचिव सुनील जैन ने बताया कि सकल दिगम्बर जैन समाज एवं मुनि सेवा समिति के तत्वाधान में बजरंग चौक स्थित महावीर दिगंबर जैन मंदिर परिसर में सामूहिक क्षमा वाणी महोत्सव का आयोजन आयोजित हुआ। मंगलाचरण भगवान का अभिषेक शांति धारा सांस्कृतिक कार्यक्रम समाज के वरिष्ठ जनों का सम्मान एवं उपवास करने वाले तपस्वियों का अभिनंदन कर सभी ने उत्तम क्षमा धर्म पर उपाध्याय श्री विश्रुत सागर जी महाराज के प्रवचनों का लाभ प्राप्त किया। क्षमा धर्म पर प्रवचन देते हुए उपाध्याय श्री विश्रुत सागर जी महाराज ने कहा कि जब तक मन की कटुता दूर नहीं होगी, तब तक क्षमावाणी पर्व मनाने का कोई अर्थ नहीं है अत: जैन धर्म क्षमाभाव ही सिखाता है। हमें भी रोजमर्रा की सारी कटुता, कलुषता को भूलकर एक-दूसरे से माफी मांगते हुए और एक-दूसरे को माफ करते हुए सभी गिले-शिकवों को दूर कर क्षमा-पर्व मनाना चाहिए। दिल से मांगी गई क्षमा हमें सज्जनता और सौम्यता के रास्ते पर ले जाती है। आइए, इस क्षमा-पर्व पर हम अपने मन में क्षमाभाव का दीपक जलाएं और उसे कभी बुझने न दें ताकि क्षमा का मार्ग अपनाते हुए धर्म के रास्ते पर चल सकें।अत: हम दोनों ही गुण स्वयं में विकसित करें, क्योंकि कहा जाता हैं कि माफी मांगने से बड़ा माफ करने वाला होता है। मुनि श्री ने कहा अपने हृदय को इतना विशाल बनाओ की उसमें सभी समा जाएं। क्षमा काफी महान है और अहंकार और क्रोधवश किए गए अपराध को क्षमा से ही हम दूर कर सकते हैं। वर्षो पुरानी बैर बुराई की ग्रंथि, गांठ को खोलकर विरोधी से भी पश्चाताप पूर्वक क्षमा भाव से गले मिलना जैन समाज के क्षमावाणी पर्व की सबसे बड़ी उपलब्धि है। जो काम सजा देने के साथ भी एक अदालत नहीं करा सकती, वह काम भीगे भावों से भरा यह क्षमावाणी पर्व करा देता है। दसलक्षण पर्व का समापन क्षमा धर्म के रूप में मनाया जाता है किंतु आप लोगों ने इस दिन को क्षमावाणी पर्व का नाम दे रखा है। मुनिश्री ने कहा कि आज के दिन प्रभात बेला से ही सभी श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर दर्शन कर क्षमा मांगते हें। फिर घर-घर जाकर क्षमा याचना करते हैं और फिर भी कमी रह जाए तो पत्र और सोशल मीडिया के द्वारा क्षमा मांगते हैं, क्षमा हमें उनसे मांगना चाहिए जिसे हमारा काफी दिनों से बैर है मन के हृदय से उनसे क्षमा मांग लेना ही क्षमा पर्व का मुख्य उद्देश्य हें। उपाध्याय श्री ने कहा कि इस पर्व के पहले दिन हमने उत्तम क्षमा धर्म को अपनाया और इस आत्मा विशुद्धि के पर्व के अंतिम दिन भी क्षमावाणी पर्व हम मनाते हैं। दो बार क्षमा पर्व क्यों मनाते है? पहला पर्व इसलिए कि हम दूसरों पर क्रोध न करें। अंतिम पर्व आता है कि पहले किसी पर क्रोध हुआ हो, किसी से बैर हुआ हो, उसको निकालकर हम क्षमा कर दें और क्षमा मांग लें। उत्तम क्षमा के दिन हमने क्रोध का त्याग किया था आज हमारे भीतर जो थोड़ा सा क्रोध रह गया था उसका भी त्याग करना है। क्षमा कर देना बड़ी बात नहीं है किंतु क्षमा मांग लेना बहुत बड़ी बात है। क्षमावाणी का यह पर्व जहां विचार शुद्धि पर बल देता है तो वहीं वचन और व्यवहार में भी मधुरता लाने की प्रेरणा देता है। अर्थात वचन, विचार और व्यवहार में विनम्रता, मधुरता और समरसता लाना ही इस पर्व का उद्देश्य है। आत्मीयता, भाई-चारे और विश्व बंधुत्व की भावनाओं से ओतप्रोत होकर जाने-अनजाने में हुई वर्ष भर की गलतियों को स्वीकार कर क्षमा मांगना, क्षमा कर देना, अपने भीगे हृदय, विचार परिमार्जन की कसौटी है। मुनि सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रेमांशु चौधरी सुनील जैन ने बताया कि क्षमा महोत्सव के दिन जहां प्रात: समस्त दिगंबर जैन मंदिरों में नित्य नियम पूजा के साथ भक्तों ने क्षमावाणी की पूजा की। घासपुरा महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में भगवान का अभिषेक व शांतिधारा के साथ आरती की गई। शांतिधारा की माला पहनने का सौभाग्य जितेंद्र सुरेश लूहाडिया परिवार को प्राप्त हुआ। इसी के साथ पर्युषण पर्व के दौरान मुनिसंघ के सानिध्य में दस उपवास करने वाले तपस्वियों तरुण गंगवाल, अर्पण बैनाड़ा ,नमन जैन बिना ,अपूर्व बैनाड़ा। पांच उपवास करने वालेअर्पित जैन,गीतांश जैन (छाबड़ा),श्रीमती स्वाति भूपेश जैन,अतुल जैन (6 उपवास), श्रीमती स्वानुभूति जितेंद्र जैन
,श्रीमती सुषमा कांतिलाल जैन,श्रीमती दीप्ति प्रवीण जैन,स्वर्ण कुमार जैन,श्रीमती श्वेता हेमंत गोधा.प्रतीक पाटनी,डॉ दीपिका पहाड़िया,महिमा पहाड़िया,श्रीमती रितु प्रतीक पहाड़िया,गौरव जैन सराफ,श्रीमती निशा पंचोलिया,श्रीमती नमिता विपुल जैन 7 उपवास,अजय कुमार जैन,श्रीमती रागिनी जैन बीड वाले,चिराग बाबू पाटनी,श्रीमती रानी मनोज लुहाड़िया रहे जिनका सम्मान किया गया।कार्यक्रम में पोरवाड़ समाज एवं सरावगी समाज की बेटी एवं बहुओं ने शानदार नृत्य की प्रस्तुति भी दी।कार्यक्रम का सफल संचालन पंकज छाबड़ा ने किया एवं अंत मे आभार सरावगी समाज के सचिव सुनील जैन ने सभी से क्षमा मांगते हुए आभार व्यक्त किया। समूहिक क्षमा वाणी महोत्सव में बड़ी संख्या में सामाजिक बंधु उपस्थित हुए।











