राजस्थान

1 साल से बंद पड़ी अन्नपूर्णा रसोई योजना ज़रूरतमंदों की उम्मीदों पर फिरा पानी

1 साल से बंद पड़ी अन्नपूर्णा रसोई योजना  ज़रूरतमंदों की उम्मीदों पर फिरा पानी

1 साल से ठप पड़ी अन्नपूर्णा रसोई योजना – ज़रूरतमंदों की उम्मीदों पर फिरा पानी

झालावाड़ जिले के चोमहला कस्बे में राज्य सरकार की ओर से संचालित अन्नपूर्णा रसोई योजना पिछले एक वर्ष से बंद पड़ी है। यह वही योजना है, जो गरीब, असहाय, बेसहारा और मजदूर वर्ग के लोगों को सस्ते दामों पर भरपेट भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।

लेकिन अफ़सोस की बात है कि पिछले एक साल से न तो यह योजना दोबारा शुरू की गई, और न ही प्रशासन की ओर से इसे लेकर कोई ठोस पहल की गई है। सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना अब अफसरशाही की उदासीनता और लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कूपन की बिक्री में गिरावट और बढ़ते घाटे के चलते संबंधित समिति ने योजना को बंद कर दिया था। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी सिर्फ योजनाएं शुरू करने तक सीमित है? क्या गरीबों के लिए शुरू की गई यह योजना वाकई उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए थी या सिर्फ कागज़ों में आंकड़े चमकाने का जरिया?

एक साल से बंद पड़ी यह रसोई योजना उन हजारों लोगों की उम्मीदों को तोड़ चुकी है, जो रोज़ाना दो वक्त की रोटी के लिए इस पर निर्भर थे। ज़रूरत है कि सरकार और संबंधित विभाग इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल ध्यान दें और योजना को पुनः शुरू कर जनहित में अपना दायित्व निभाएं।

*अंशुल पटेल*
*जिला अध्यक्ष युवा आम आदमी पार्टी झालावाड़*
*जिला संगठन मंत्री*
*भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति राजस्थान*
*संस्थापक आम नागरिक समिति चौमहला*

झालावाड़ जिले के चोमहला कस्बे में राज्य सरकार की ओर से संचालित अन्नपूर्णा रसोई योजना पिछले एक वर्ष से बंद पड़ी है। यह वही योजना है, जो गरीब, असहाय, बेसहारा और मजदूर वर्ग के लोगों को सस्ते दामों पर भरपेट भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।

 

लेकिन अफ़सोस की बात है कि पिछले एक साल से न तो यह योजना दोबारा शुरू की गई, और न ही प्रशासन की ओर से इसे लेकर कोई ठोस पहल की गई है। सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना अब अफसरशाही की उदासीनता और लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है।

 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कूपन की बिक्री में गिरावट और बढ़ते घाटे के चलते संबंधित समिति ने योजना को बंद कर दिया था। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी सिर्फ योजनाएं शुरू करने तक सीमित है? क्या गरीबों के लिए शुरू की गई यह योजना वाकई उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए थी या सिर्फ कागज़ों में आंकड़े चमकाने का जरिया?

 

एक साल से बंद पड़ी यह रसोई योजना उन हजारों लोगों की उम्मीदों को तोड़ चुकी है, जो रोज़ाना दो वक्त की रोटी के लिए इस पर निर्भर थे। ज़रूरत है कि सरकार और संबंधित विभाग इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल ध्यान दें और योजना को पुनः शुरू कर जनहित में अपना दायित्व निभाएं।

 

 

*अंशुल पटेल*

*जिला अध्यक्ष युवा आम आदमी पार्टी झालावाड़*

*जिला संगठन मंत्री*

*भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति राजस्थान*

*संस्थापक आम नागरिक समिति चौमहला*

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