
राजस्थान में पंचायतों की सीमाओं के पुनर्गठन को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। पंचायतों की नई सीमाएं तय करने के लिए ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके तहत प्रशासनिक आधार पर ग्राम पंचायतों की सीमाओं में बदलाव किया जाएगा
राज्य में अब तक 33 जिला परिषदें थीं। लेकिन बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, फलोदी और सलूंबर जैसे नए जिलों में पहली बार जिला परिषदों का गठन होगा।
इससे प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ जनता तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में भी आसानी होगी।
पंचायतों और समितियों के पुनर्गठन के बदले मापदंड
ग्राम पंचायत गठन के नए नियम:
अब सामान्य क्षेत्रों में 3,000 से लेकर 5,500 की आबादी पर एक ग्राम पंचायत बनाई जाएगी।
पहले यह सीमा 4,000 से 6,500 के बीच थी।
रेगिस्तानी और आदिवासी क्षेत्रों में 2,000 की आबादी पर भी ग्राम पंचायत का गठन किया जाएगा।
पंचायत समितियों के गठन के नए नियम:
पहले 40 ग्राम पंचायतों पर एक पंचायत समिति बनाई जाती थी।
अब यह संख्या घटाकर 25 ग्राम पंचायतों पर ही एक पंचायत समिति बनाई जाएगी।
पुनर्गठन के लाभ
बेहतर प्रशासन: प्रशासनिक कार्यों की दक्षता में सुधार होगा।
विकास कार्यों में तेजी: अधिक पंचायतों के गठन से ग्रामीण विकास परियोजनाओं को तेजी से लागू किया जा सकेगा।
नेतृत्व के नए अवसर: सरपंच, प्रधान और जिला प्रमुखों की संख्या बढ़ने से नए नेताओं को मौका मिलेगा।
जनता की बेहतर भागीदारी: ग्रामीणों को अपनी जरूरतों और समस्याओं को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने का मंच मिलेगा।
संभावित चुनौतियाँ
पुनर्गठन के दौरान स्थानीय विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
सीमाओं के निर्धारण में प्रशासनिक और कानूनी समस्याएं आ सकती हैं।
बढ़ती पंचायत समितियों के लिए आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
निष्कर्ष
राजस्थान सरकार का यह पुनर्गठन कदम न केवल प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है बल्कि ग्रामीण विकास और जनता की भागीदारी को बढ़ावा देने वाला साबित होगा। नई पंचायतों और जिला परिषदों के गठन से राज्य में प्रशासनिक ढांचे को और मजबूत किया जा सकेगा