रानी दुर्गावती महान वीरांगना-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने रानी दुर्गावती बलिदान दिवस के अवसर पर कहा कि रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्तूबर 1524 को आज के बुलंदेलखंड के बांदा जिले में हुआ था। दुर्गा अष्टमी के दिन जन्म होने के नाते नाम रखा गया दुर्गावती।उन्होंने बचपन से ही घुड़सवारी, तीरंदाजी और तलवारबाजी जैसी युद्ध कलाओं को सीखना शुरू कर दिया था।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि देश की महान वीरांगना रानी दुर्गावती ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने हाथों से अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। मुगल शासक अकबर के सामने झुकने के बजाय उन्होंने खुद ही अपना खंजर अपने सीने में उतार लिया था।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, बृजेश शुक्ला एडवोकेट, राकेश दक्ष एडवोकेट, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, डॉक्टर आरती शर्मा, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी आदि ने कहा कि रानी के विवाह के केवल सात साल बाद ही राजा का निधन हो गया।उस वक्त उन दोनों का पुत्र सिर्फ पांच साल का था। अपने पांच साल के बेटे वीर नारायण को गद्दी पर बैठाकर रानी दुर्गावती ने गोंडवाना का शासन अपने हाथों में ले लिया। वर्तमान जबलपुर ही उनके राज्य का केंद्र था।वहां पर रानी ने लगभग 16 साल शासन किया।
आसफ खान ने जब गोंडवाना पर हमला भी किया पर रानी दुर्गावती की बहादुरी के आगे उसकी एक न चली। रानी दुर्गावती के पास भले ही सैनिकों की संख्या कम थी। फिर भी उन्होंने युद्ध जारी रखा और सेनापति की वीरगति के बावजूद हौसला नहीं टूटने दिया। इससे मुगल भी हैरान रह गए थे।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ