
.एडिटर/संपादक:-तनीश गुप्ता,
.शिक्षा बीना जीवन अधूरा है..“शिक्षा शेरनी का वो दूध है जो पियेगा वो दहाड़ेगा।” ..विधायक कंचन तनवे..
राजनीति में सफल होने के बाद विधायक दे रही है बीएसडब्ल्यू की परीक्षा,,
खंडवा ।। बिना शिक्षा के जीवन अधूरा है आज के जीवन में शिक्षा बहुत अनिवार्य है। सरकार और शासन द्वारा भी शिक्षा को महत्व दिया जा रहा है शासकीय स्कूल शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा भी लगातार सार्थक हो रहा है। समाजसेवी व प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि इस बात को जीवन का मूल मंत्र बनाकर अधूरी शिक्षा को पूर्ण करने के लिए इन दिनों कंचन मुकेश तनवे बी एस डब्ल्यू की परीक्षा दे रही है राजनीति में दहाड़ने के लिए एक बार फिर से खंडवा विधायक कंचन तनवे शिक्षा के मैदान में आ गई है। पॉलिटिक्स को लेकर अक्सर कहा जाता है कि अगर आपका पढ़ने लिखने में दिल न लग रहा हो तो आप राजनीति में आ जाएं राजनीति में आने के बाद राजनीति अलग-अलग तरह के तजुर्बे से आपको तजुर्वेकार बनाती है। लेकिन खंडवा में कुछ अलग ही नजारा शनिवार को देखने को मिला। खंडवा विधानसभा से विधायक कंचन तनवे राजनीति में आने के बाद शिक्षा के महत्व को समझ सकी और सतत अपनी अधूरी शिक्षा को लेकर आज ग्रेजुएशन तक का सफर पूरा करने के मुकाम पर पहुँच गई है। विधायक कंचन तनवे BSW तीसरे वर्ष का एग्जाम दे रही है। एक छात्र की तरह विधायक को एग्जाम सेंटर रवाना करने से पहले उनकी बेटी निकिता ने दही शक्कर खिलाकर उन्हें रवाना किया
जन्मदिन के दिन भी विधायक ने सुबह उठकर की 2 घंटे की पढ़ाई
समाजसेवी सुनील जैन ने विधायक श्रीमती तन्वे को जन्मदिवस की बधाई देते हुए बताया कि 14 जून को खंडवा विधायक कंचन तनवे का जन्मदिन आता है। उनके जन्मदिन को मनाने के लिए शहर भर में कार्यकर्ताओं ने उनके बैनर और पोस्टर से शहर भर दिया है। लेकिन अपने जन्मदिन की खुशियों के बीच विधायक कंचन तन्वे ने आज सुबह से उठकर 2 घंटे परीक्षा को लेकर तैयारी की। इसके बाद सुबह 7:00 बजे से ही कार्यकर्ताओं का ताँता उनके घर पर बधाई देने के लिए लग गया। विधायक ने एक स्टूडेंट की तरह मंदिर जाकर पहले पूजा अर्चना की फिर कार्यकर्ताओं की बधाइयां स्वीकार कर घर से एग्जाम देने के लिए सुबह 9:30 बजे एग्जाम सेंटर के लिए रवाना हो गई। एग्जाम सेंटर रवाना करने से पहले बेटी ने दही और शक्कर खिलाकर अपनी मां को रवाना किया।
आठवीं कक्षा से लेकर ग्रेजुएशन तक का यूँ किया सफर पूरा
प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि विधायक कंचन तनवे का जन्म 14 जून 1982 को ग्राम धनोरा में हुआ था। पारिवारिक माहौल और गरीबी के कारण आठवीं से ज्यादा तक की पढ़ाई का सफर वह पूरा नहीं कर सकी। 1997 में दसवीं कक्षा के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी, लेकिन जब 2002 में मुकेश तन्वे के साथ उनका विवाह हुआ तब मुकेश तन्वे राजनीति के युवा छात्र हुआ करते थे। मुकेश तनवे ने 2005 में 11वीं कक्षा में उनका नामांकन करवाया। किसी तरह से 12वीं की कक्षा भी 2009 में विधायक कंचन तनवे ने पास कर ली। तब तक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में भी उन्हें नौकरी मिल गई। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में नौकरी मिलने के बाद घर चलाना तो आसान हो गया लेकिन पढ़ाई एक बार फिर छूट गई। लगातार 8 साल नौकरी करने के दौरान पढ़ाई में एक बार फिर से लंबा गैप बनने के कारण विधायक के जीवन में शिक्षा की एक कमी हमेशा उन्हे खलती रही।
2023 में विधायक बनने के बाद फिर शुरू हुआ शिक्षा का सफर
खंडवा विधायक कंचन तनवे के जीवन में सफलता तो आती गई लेकिन शिक्षा उनसे कोसों दूर जा रही थी। खंडवा विधायक कंचन तनवे ने कहा की “शिक्षा शेरनी का वो दूध है जो इसे पियेगा वही दहाड़ेगा”। इस बात को उन्होंने जीवन का अपना मूल मंत्र बना लिया है। 2023 की विधानसभा चुनाव में उन्हें खंडवा विधानसभा की अनुसूचित जाति की महिला सीट होने के कारण भाजपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया। मैदान में दूर-दूर तक कोई टक्कर नहीं होने के कारण कंचन तनवे भारी मतों से जीतकर विधायक बनी। विधायक बनने के बाद तत्काल सबसे पहला काम उन्होंने ग्रेजुएशन में अपना दाखिला करवाया।
शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययन कार्य रखेगी लगातार जारी
खंडवा विधायक कंचन तन्वे ने कहा की ग्रेजुएट होने के बाद वह एमएसडब्ल्यू का कोर्स जो 2 साल का होता है वह करेगी। इसके बाद कानूनी दाँव पेंच जानने के लिए लॉ की भी पढ़ाई करेगी। शिक्षा का महत्व क्या होता है इसको लेकर विधायक ने कहा अगर आप राजनीति में हैं और शिक्षित हैं तो एक बेहतर जन नेता बनने की आपके अंदर क्वालिटी है। लिहाजा जब तक वह राजनीति में बल्लेबाजी करती रहेगी तब तक शिक्षा का क्षेत्र भी उनसे अब अछूता नहीं रहेगा।