
मुजफ्फरनगर। चित्रकूट जेल में बंद पूर्व विधायक शाहनवाज़ राना को जीएसटी प्रकरण में हाईकोर्ट ने जमानत प्रदान की है। हालांकि, गेंगस्टर एक्ट के तहत आरोप लगे होने के कारण उनकी रिहाई अभी संभव नहीं है।इस मामले में शाहनवाज़ राना के वकील, राज्य के अपर शासकीय अधिवक्ता और वाणिज्य कर विभाग, उत्तर प्रदेश के वकील ने अपनी दलीलें पेश कीं। शाहनवाज़ राना ने जीएसटी के एक मामले में न्यायालय से तत्काल जमानत की प्रार्थना की थी, जिसमें आईपीसी की विभिन्न धाराओं जैसे 420, 406, 467, 468, 471 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज है।मुकदमे में आरोप है कि मेसर्स जम्बूद्वीप एक्सपोर्ट्स एंड इंपोर्ट्स लिमिटेड और उसके निदेशकों ने वित्तीय वर्ष 2018-19 का ₹2.7 करोड़ से अधिक का जीएसटी बकाया जमा नहीं किया। शाहनवाज़ राना का नाम एफआईआर में नहीं था क्योंकि वे उस समय कंपनी के निदेशक नहीं थे। उन्होंने 2012 में निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि कंपनी का गठन 2012 के बाद हुआ।
राणा के वकील ने अदालत को बताया कि उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश के तहत झूठे मामले दर्ज किए गए हैं और वे जेल में बंद हैं। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया से भागने या साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ करने की कोई संभावना से इनकार किया।
दूसरी ओर, राज्य के वकीलों ने तर्क दिया कि आवेदक के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं और वह कई कंपनियों में निदेशक रह चुके हैं।
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों के बाद शाहनवाज़ राना को जमानत दी है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि उनकी रिहाई के लिए कुछ शर्तें लागू होंगी। वे नियमित कोर्ट हाजिरी देंगे, साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे, और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त नहीं होंगे। अगर वे शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो जमानत रद्द की जा सकती है।
यह आदेश केवल जमानत तक सीमित है और मुकदमे की योग्यता पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा। साथ ही, यह भी बताया गया कि यह फैसला नामित अभियुक्तों पर लागू नहीं होगा