
ग्राम बोरगांव के आंगनवाड़ी केन्द्र एवं ग्राम पंचायत आरूद के पंचायत भवन में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया
खण्डवा 30 अप्रैल, 2025 – मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के यथानिर्देशानुसार एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, खंडवा श्रीमती ममता जैन के मार्गदर्शन में 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के अवसर पर नालसा बच्चों के लिये बाल अनुकूल विधिक सेवायें योजना, 2024 के प्रावधानों के तहत ग्राम बोरगांव के आंगनवाड़ी केन्द्र एवं ग्राम पंचायत आरूद के पंचायत भवन में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।
विधिक साक्षरता शिविर में उपस्थित महिलाओं एवं बालिकाओं को संबोधित करते हुए जिला विधिक सहायता अधिकारी ने कहा कि आधुनिक समाज के विकास में बाल विवाह बड़ी चुनौती है। आज भी बाल विवाह कई समुदायों में सामाजिक परम्परा के स्वरूप में प्रचलित है। बाल विवाह बच्चों के बचपन को खत्म कर शिक्षा से वंचित करता है। विवाह की निर्धारित आयु लड़की के लिये 18 वर्ष व लड़के लिये 21 वर्ष के पूर्व विवाह किया जाना बाल विवाह कहलाता है। बाल विवाह, बचपन खत्म कर देता है। बाल विवाह बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर, बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी होता है।
जिस लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है, उसके स्कूल से निकल जाने की संभावना बढ़ जाती है तथा उसके कमाने और समुदाय में योगदान देने की क्षमता कम हो जाती है।गर्भावस्था और प्रसव के दौरान गंभीर समस्याओं के कारण अक्सर नाबालिग लड़कियों की मृत्यु भी हो जाती है। इसलिए हम सबको प्रयास करना चाहिए कि जहां भी बाल विवाह की जानकारी मिलती है, वहां जाकर बाल विवाह रोकने का प्रयास करना चाहिए और बाल विवाह रोके जाने के लिये पुलिस एवं महिला बाल विकास विभाग का सहयोग लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त उपस्थित महिलाओं एवं बच्चों को पॉस्को एक्ट, निःशुल्क विधिक सहायता योजना एवं नालसा की नशा पीड़ित योजना की जानकारी भी दी गई। कार्यक्रम का संचालन पैरालीगल वालेन्टियर श्री मनोज कुमार वर्मा ने किया एवं आभार व्यक्त किया। आयोजित शिविर में पैरालीगल वालेन्टियर श्री सत्यप्रकाश मिश्रा एवं श्रीमती कल्पना कनाडे की भी सहभागिता रही।