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कुशीनगरः संगठित साइबर गैंग का पर्दाफाश, पांच सदस्य गिरफ्तार

कुशीनगर । जिले की थाना रामकोला और साइबर सेल की संयुक्त प्रयास से एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई हैं। पुलिस टीम ने संगठित साइबर गैंग का खुलासा करते हुए पांच अभियुक्तों को दबोचा है, जिनके पास से लगभग ग्यारह लाख तक की अनुमानित बरामदगी के साथ अन्य समान बरामद हुआ है। पुलिस अधीक्षक कुशीनगर संतोष कुमार मिश्र ने इस सराहनीय कार्य करने वाली पुलिस टीम को पच्चीस हजार रुपए का नकद पुरस्कार दिया हैं।जनपद में साइबर अपराधों के रोकथाम हेतु चलाये जा रहे अभियान के क्रम में शुक्रवार को थाना रामकोला पुलिस व साइबर सेल की संयुक्त टीम के प्रयास से थाना रामकोला क्षेत्र से पांच संगठित साइबर गिरोह के सक्रिय सदस्यों की गिरफ्तारी हुई है। गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान संदीप गुप्ता पुत्र स्व० अछेवर गुप्ता ग्राम परोरहा डम्मर छपरा थाना रामकोला जनपद कुशीनगर, मंयक कुशवाहा पुत्र श्री राजेश कुशवाहा निवासी ग्राम उर्दहा नं0 02 थाना रामकोला जनपद कुशीनगर, सन्नी गुप्ता पुत्र जंग बहादुर गुप्ता निवासी ग्राम परोरहा डम्मर छपरा थाना रामकोला जनपद कुशीनगर, विकास कुमार पुत्र शंकर गुप्ता निवासी ग्राम उर्दहा नं0 02 थाना रामकोला जनपद कुशीनगर , एक अन्य बाल अपचारी को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से साइबर फ्राड से अर्जित 1 लाख 12 हजार रुपये नगद, एक अदद चार पहिया वाहन स्विफ्ट डिजायर, अपराध मेंप्रयुक्त छः मोबाइल फोन, तीन लैपटाप व 12 अदद सिम कार्ड व 26 फर्जी आधार कार्ड की बरामदगी की गयी है। बरामदगी व गिरफ्तारी के आधार पर थाना रामकोला पर मु0अ0सं0 62/25 धारा 111(2) (B), 318(4)/61(2) बीएनएस व 66 डी आईटी एक्ट में अभियोग पंजीकृत कर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है।

पुलिस के पूछताछ में जो जानकारियां हाथ लगी है उसके अनुसार अभियुक्तगणों का एक संगठित गिरोह है, इनके द्वारा ऐसे मोबाइल नम्बर जो लोगों के खातों में लिंक रहते हैं व किसी कारण से वो नम्बर बन्द हो जाते हैं तथा खाते से लिंक मोबाइल नम्बर को बदलते नहीं हैं, इन लोगों द्वारा ऐसे नम्बरों की खोज कर रि-एलाट करा लेते हैं। रि-एलाट कराये गये मोबाइल नम्बर से माइ आधार एप्प के माध्यम से पुराने मोबाइल नम्बर धारक के आधार कार्ड नम्बर प्राप्त कर लेते हैं। पुराने मोबाइल नम्बर धारक केआधार कार्ड नम्बर व लिंक मोबाइल नम्बर का प्रयोग कर फोन-पे बना लेते हैं। अभियुक्त गणों द्वारा फोन-पे बनाने के उपरान्त अलग-अलग सी०एस०पी० संचालकों से उक्त खाते में रुपयों का स्कैनर के माध्यम से ट्रान्सफर करा लेते हैं। सी०एस०पी० संचालकों द्वारा उक्त रुपयों के ट्रान्सफर के एवज में अधिक कमीशन लिया जाता है। उक्त संगठित गिरोह द्वारा ऐसे नम्बरों का भोले भाले, बेरोजगार लोगों को लोन दिलवाने आदि के नाम पर भी रुपये मंगाकर सीएसपी के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। और इनके जाल में फंस कर आम जन ठगी का शिकार हो जाते हैं।

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