
प्राचीन विट्ठल मंदिर एवं मालीकुंआ स्थित दत्त मंदिर में दत्त जयंती पर श्रद्धालुओं ने पहुंचकर किए दर्शन एवं की पूजा अर्चना,
श्री दत्त भगवान की आरती के पश्चात हुआ प्रसादी का वितरण,
खंडवा ।। दत्त जयंती जिसे मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भगवान दत्तात्रेय की जयंती है, जिन्हें त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अवतार माना जाता है। दत्तात्रेय को गुरुओं के गुरु भी कहा जाता है, और उन्हें 24 गुरुओं से ज्ञान प्राप्त हुआ था। दत्तात्रेय जयंती के दिन, भक्त दत्तात्रेय मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं और भजन गाते हैं। वे दत्तात्रेय की मूर्ति को सजाते हैं और उन्हें भोग लगाते हैं। इस दिन व्रत भी रखा जाता है और दान-पुण्य किया जाता है। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि खंडवा में प्राचीन विट्ठल मंदिर में भगवान दत्तात्रेय की ब्रह्मा विष्णु महेश के रूप में आकर्षण मूर्ति विराजमान है, दत्त जयंती पर श्रद्धालुओं ने विट्ठल मंदिर पहुंचकर भगवान श्री दत्त के दर्शन एवं पूजन किया वहीं राम और श्याम आष्टेकर परिवार द्वारा भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा का प्रातः काल अभिषेक एवं श्रृंगार कर आरती की गई, सुनील जैन ने बताया कि दत्तात्रेय जयंती का महत्व यह है कि यह हमें भगवान दत्तात्रेय के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करती है। दत्तात्रेय ने हमें सिखाया कि हम अपने जीवन में आध्यात्मिकता और भक्ति का पालन करें। उन्होंने हमें यह भी सिखाया कि हम अपने कर्मों के लिए जिम्मेदार हैं और हमें दूसरों के साथ सद्भाव और सहयोग का व्यवहार करना चाहिए। दत्तात्रेय जयंती एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, जो हमें अपने जीवन में आध्यात्मिकता और भक्ति का पालन करने के लिए प्रेरित करती है। विट्ठल मंदिर के साथ ही मालीकुंआ स्थित दत्त मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने पहुंचकर भगवान श्री दत्त के दर्शन एवं पूजन किया,श्री दत्त मंदिर में शनिवार को दत्त जयंती का आयोजन उत्साह पूर्ण वातावरण में किया गया जहां सुबह से ही भक्तों का तांता लगा शाम को ठीक 5:45 पर श्री गुरु चरित्र के चौथे अध्याय जो श्री दत्त के जन्म का है उसका पारायण कर श्री दत्त भगवान की महाआरती की गई एवं मंदिर में भक्तजनों को प्रसाद बांटा गया, मनोज अनंत कुलकर्णी ने बताया कि माली कुआ स्थित यह दत्त मंदिर अति प्राचीन होकर करीब सवा सौ वर्ष पुराना है जो की नाईक परिवार का है आरती के बाद में करुणा त्रिपदी दत्त बावनी आदि की गई साथ ही सानंद संस्था इंदौर द्वारा आयोजित आजी आजोबा गोष्ट सांगा प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण भी किया गया।