शाला प्रवेश उत्सव मनाना था लिहाजा स्कूल के बेपरवाह महिला प्रधान पाठक में नहीं बनवाया मध्यान्ह भोजन
महासमुन्द – शिक्षा सत्र के शुरुआती दौर में ही स्कूलों से शिक्षकों का गायब रहना शुरू हो गया है,,, छत्तीसगढ़ सरकार एक तरफ जहां शिक्षा में गुणवत्ता लाने के प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर शिक्षकों के इस तरह के मनमानी से कैसे शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता आएगी यह सवाल खड़ा हो गया है,,, दरअसल 6 जुलाई को महासमुंद जिले के सरायपाली क्षेत्र के सूदूर ग्राम पंडरीपानी प्राथमिक और मिडिल स्कूल में मीडिया की टीम जब पहुंची तब वहां पदस्थ पांच में से तीन शिक्षक स्कूल ही नहीं आए थे,,,, स्कूल के शिक्षक रिजवाना परवीन, भागीरथी पटेल, और परमेश्वर मांझी बगैर कोई सूचना आवेदन अनुपस्थित थे, इस स्कूल के प्राथमिक शाला में 37 और मिडिल स्कूल में 70 बच्चे दर्ज है,,,ये बच्चे आसपास के अन्य गांव से भी यहां पढ़ने आते हैं लेकिन जब शिक्षक न आते हों तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा यह सवाल खड़ा होता है और ऐसे हालात में बच्चे खेल कूद कर ही घर लौट जाते हैं,,,, गौरतलब है कि पंडरीपानी स्कूल में 5 जुलाई को गैर जिम्मेदार प्रधानपाठक की लापरवाही की वजह से ही स्कूली बच्चों को गर्म मध्यान्ह भोजन नहीं परोसा गया,,,, जिसे लेकर पूछने पर बताया गया की शाला प्रवेश उत्सव मनाना था इसलिए मध्यान्ह भोजन नहीं बनाया गया,,,, गौरतलब है कि स्कूल में भवन की कमी के बावजूद अतिरिक्त कक्ष ठेकेदार को सीमेंट भरने के लिए दे दिया गया है, तमाम समस्याओं को लेकर जब स्कूल की महिला प्रधान पाठक से जानकारी लेने का प्रयास किया गया तब उन्होंने बगैर रिकार्ड कहा एक दिन की छुट्टी देने का उन्हें अधिकार है,,, लेकिन अन्य कोई भी जानकारी मीडिया को देने से यह कह कर मना कर दिया कि अधिकारियों ने उन्हें मीडिया को जानकारी देने से मना किया है , हालांकि किस अधिकारी ने मना किया है पूछने पर महिला प्रधान पाठक बगलें झांकने लगी। बहरहाल ऐसे बेपरवाह शिक्षकों की तैनाती से भोले भाले ग्रामीण बच्चों के भविष्य का क्या होगा? शिक्षा में कैसे गुणवत्ता आएगी और व्यवस्था में कैसे सुधार होगा यह बड़ा सवाल सामने आ गया है।