सिद्धार्थनगर। चाय हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन चुकी है। कई लोग तो दिन में कई बार चाय पीना पसंद करते हैं। अगर चाय की चुस्की ले रहे हैं तो सेहत का भी ख्याल रखें। क्योंकि बाजार में मिलावटी चाय पत्ती खपाई जा रही है। झोले में लेकर इसकी बिक्री सस्ती दर की जा रही है।
दुकानदार उसे जांच के समय नामी कंपनी के पैकेट में रखता है। ऐसे में चाय पीने में कड़क लगे और चाय का रंग गाढ़ा और स्वादिष्ट हो, तो समझ लीजिए, इसमें मिलावट की गई है। क्योंकि जनपद में दो दुकानों पर पूर्व में मिलावटी चाय पत्ती से चाय बनाने की पुष्टि हो चुकी है। इस दोनों मामलों में केस दर्ज हुआ था, मुकदमा भी चल रहा है। जनपद में इस प्रकार का धंधा कम हुआ है, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि बेचने वाला गैंग लखनऊ से लेकर बहराइच, गोंडा, बाराबंकी, बलरामपुर से सिद्धार्थनगर तक फैला हुआ है। चिकित्सक इसके सेवन से कैंसर जैैसी घातक बीमार होने का खतरा बता रहे हैं। ऐसे में सेहत को लेकर सावधान होने की जरूरत है।
लगभग ढाई क्विंटल चाय पत्ती की प्रतिदिन होती है खपत
जनपद की आबादी मौजूदा समय में तकरीबन 30 लाख के आसपास है। तीन वर्ष से कम आयु के बच्चों को छोड़ दिया जाए, तो हर व्यक्ति चाय पी रहा है। हर घर में दो से तीन टाइम चाय बनती है। वहीं, बाहर रहने वाले होटल और चौराहों की छोटी दुकानों पर चाय पीते हैं। वह भी एक नहीं दिन में कई बार पीते हैं। आंकड़ों के मुताबिक प्रतिदिन लगभग ढाई से तीन क्विंटल चाय पत्ती की खपत होती है। अब इसमें होटलों में जाने वाली चाय पत्ती कितना सही प्रयोग कर सकते हैं। यह कह पाना मुश्किल होगा। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में खुली चाय पत्ती बेचने का चलन है। वह इसलिए कि पैक में बिकने वाली चाय पत्ती से काफी कम दाम पर मिलती है। ऐसे में खुली चाय पत्ती में भारी मिलावट होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अगर बाजार की खुली चाय पत्ती की चाय पी रहे हैं तो सतर्क हो जाएं। क्योंकि यह सेहत के लिए नुकसानदेह है। चिकित्सक ऐसी सलाह दे रहे हैं।
जांच में मिलावट की बात आई सामने, हुई कार्रवाई
चाय में मिलावट की शिकायत पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की टीम ने एक वर्ष पहले बांसी में एक दुकान पर छापा मारा था। दुकान से मिली चाय का कलर अलग लगा। चाय पत्ती का सैंपल भेजा गया। जांच में पाया गया कि उसमें खतरनाक केमिकल से बनें रंग का प्रयोग किया गया है, जो कलर के साथ ही स्वाद में कुछ बदलाव कर देता है। इसके साथ ही अन्य तीन किस्म के तत्व पाए गए। जो मानव शरीर के लिए काफी हानिकारक हैं। इसके नियमित सेवन से शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं।
इसके अलावा उसके कुछ ही दिन पूर्व शहर की एक दुकान में छापा मारा गया। मौके पर चाय देखी गई, और चाय पत्ती कब्जे में लेकर सैंपल के लिए भेजा गया। जांच में उसी प्रकार के केमिकल वाले रंग सहित अन्य तत्व मिले हैं, जो इंसान के लिए घातक बताया गया है। हालांकि दोनों मामलों में विभाग ने लिखा पढ़ी करके केस दर्ज कराया है। मुकदमा एडीएम कोर्ट में चल रहा है।
क्यों करते हैं इस चाय पत्ती का प्रयोग
बता दें कि इस चाय पत्ती का प्रयोग दुकानदार इसलिए करता है कि पहले जहां अन्य ब्रांड की कंपनी की चाय पत्ती 180 रुपये में 250 ग्राम है। उतनी चाय पत्ती यह 100 से 80 रुपये में मिलती है। इसके साथ ही इस चाय पत्ती के डाल देने से चाय गाढ़ी हो जाती है, और उसमें कलर आ जाता है, जिससे लगता है कि चाय अच्छी पकी है। ऐसे में लोग इस चाय को तेजी से पीते हैं। इसके अलावा एक और कारण है। अगर तीन लीटर पानी में ब्रांड कंपनी का चाय पत्ती 30 से 50 ग्राम प्रयोग होती है, तो यह चाय महज एक चम्मच ही काफी है। जो 50 ग्राम के बराकर कार्य करेगा। इसलिए दुकानदार इस पत्ती का प्रयोग कर रहे हैं।
इस प्रकार कर सकते हैं पहचान
चाय पत्ती को पहचानने के लिए एक साथ दो गिलास पानी सामने रखें। इसमें एक जो ब्रांड कंपनी के पैकेट की चाय पत्ती है, उसकी एक चम्मच डाल दीजिए। दूसरे में यह जहरीली चाय डालिए। ब्रांड की चाय डालने पर धीरे-धीरे नीचे जाएगी और हल्का कलर छोड़ता है, और बाद में वह साफ भी हो जाती है, लेकिन यह डालते ही घुलते ही नीचे चली जाती है, और देखते ही देखते हल्के लाल रंग की तरह हो जाती है। इस प्रकार से सही और गलत की पहचान कर सकते हैं।
सामान्य पॉलिथीन में देते हैं चाय पत्ती
जहरीली चाय पत्ती की आपूर्ति करने वालों का बेचने का तरीका भी अलग है। वह चाय पत्ती सामान्य पॉलिथीन में रहती है, और 250 ग्राम, 500 ग्राम इसी प्रकार से रखते हैं। बेचते समय यह सलाह भी देते हैं कि दुकान में रखते समय पत्ती को किसी कंपनी की चाय पत्ती के पैकेट में रखें। इसके पीछे उनका उद्देश्य रहता है कि पकड़ में नहीं आएंगे।
लंबा है नेटवर्क मिलावटी चाय पत्ती बेचने वाले बाइक से आते हैं। वह 15 से 30 दिन के बीच में आते हैं। बलरामपुर, गोंडा, बहराइच में इसे बनाने का कार्य होता है। यह ग्रामीण क्षेत्र में हावी हैं। क्योंकि यहां जांच और पकड़े जाने का डर कम रहता है। संभले नहीं तो इन बीमारियों का हो सकते हैं शिकार । चाय का सेवन शरीर के लिए नुकसानदेह है, लेकिन अगर इसमें कलर बढ़ाने और स्वाद अच्छा करने के लिए कोई केमिकल का प्रयोग कर दिया जाए तो यह और खतरनाक हो सकता है। इसके लगातार सेवन से सांस में तकलीफ, पेट में दर्द होना, फेफड़े में संक्रामण, सांस लेने में दिक्कत, चक्कर आने की बीमारी हो सकती है। इसके साथ ही हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर और गुर्दे की खराबी जैसी बीमारी का भी शिकार हो सकते हैं।
-डॉ. एसके राव, एमडी मेडिसिन
इस प्रकार से बनाते हैं नकली चाय पत्ती
खाद्य सुरक्षा विभाग से जुड़े लोगों के मुताबिक पूर्व में पकड़ी गई चायपत्ती की जांच में सामने आ चुका है। कि बड़े होटल और चाय की दुकानों पर फेंकी गई चाय पत्ती में केमिकल और रंग डाला जाता। इसके अलावा आरा मशीन से निकलने वाले बुरादे में कलर और चाय पत्ती जैसा केमिकल डाल देते हैं। इससे यह तैयार हो जाता है।
बोले कारोबारी
दुकान पर पैक और शुद्धता की गारंटी के साथ चाय पत्ती आती है। जो नुकसानदायक नहीं है। अगर नकली चाय पत्ती खपाई जा रही है, तो इसकी जांच और कार्रवाई होनी चाहिए।
-दिवाकर प्रसाद, किराना के थोक कारोबारी
नकली चाय पत्ती अगर बेची जा रही है तो इसकी जांच होनी चाहिए। दुकानों पर ब्रांड की चाय पत्ती मंगवाकर बेचते हैं। खुला चाय पत्ती में वैसे भी मिलावट होने की संभावना अधिक रहती है। इसकी जांच होनी चाहिए।
-राम मित्तल, किराना के थोक कारोबारी
बोले जिम्मेदार
खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम सैंपलिंग करती है। जांच में मिलावटी चाय पत्ती पाए जाने पर कार्रवाई भी की जाती है। मिलावटी चाय पत्ती के दो मामले पकड़े गए। दोनों में केस दर्ज हुआ। मुकदमा चल रहा है।
-गिरिजेश कुमार दुबे, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी