छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया को अक्ति के नाम से भी जाना जाता है। अक्ती के दिन छत्तीसगढ़ में गुड्डा गुड़िया की शादी की जाती है। तिल्दा नेवरा के मार्केट में की हर गली में गुड्डे गुड़िया का स्टॉल सजाया गया था। गांव के बाजारों में भी कुम्हारों द्वारा रंग बिरंगी गुड्डा गुडिया विक्रय किया गया। लोग तरह-तरह और रंग बिरंगे गुड्डे गुड़िया बाजार से खरीद कर ले गए। गुड्डे गुड़िया को लाल, पीले, हरे, गुलाबी, बैगनी जैसे आकर्षक रंगों से सजाया गया। छोटे बच्चे गुड्डे गुड़िया को घर पर लाकर बिल्कुल अपने बच्चों की तरह शादी का फंक्शन करते हैं। वैसे तो बच्चे खेल खेल में गुड्डा गुडिया की शादी करते है लेकिन इसमें बच्चे खेल खेल में पारिवारिक रीति रिवाज को समझते है। छत्तीसगढ़ी रीति रिवाज से गुड्डा की साइड वाले लोगों को वर पक्ष और गुड्डी के साइड वाले लोगों को वधू पक्ष कहते हैं। योगेश्वरी अंबिका वा इन सब के सहेली दूरा किया गया
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